पद्मश्री विदुषी भारती शिवाजी द्वारा मोहिनीअट्टम
पांचवे दिन की शुरुआत पद्मश्री विदुषी भारती शिवाजी द्वारा मोहिनीअट्टम के माध्यम से बाल गणपति की प्रस्तुति से हुई। इसके बाद, उन्होंने मुक्काचलम और ओमानथिंकल किदावो जैसे नृत्य शैलियों को दर्शाया, जो केरली रागों और तालों से सजे हुए थे। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को अद्वितीय केरल शैली के नृत्य में डुबो दिया। भारती शिवाजी की टोली में दीप्ति नायर, मेघा नायर और रुक्मणी मृणालिनी सेन जैसे कलाकारों ने अपने साथ इस प्रस्तुति को जीवंत किया।
पद्मश्री शोवना नारायण द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति
इसके बाद मंच पर पद्मश्री शोवना नारायण द्वारा कथक नृत्य की प्रस्तुति हुई, जिसमें जीवन के चक्र, सृजन, प्रेम और मृत्यु के जटिल पहलुओं को नृत्य के माध्यम से चित्रित किया गया। उन्होंने चित्रगुप्त, कंदरिया महादेव और जगदंबा मंदिरों की दिव्य आभा से प्रेरित होकर नृत्य किया, जिसमें सूर्य, शिव और देवी के प्रतीकों के माध्यम से जीवन के सत्य को उद्घाटित किया गया।
अंतिम प्रस्तुति ओडिसी नृत्य की
अंतिम प्रस्तुति ओडिसी नृत्य की थी, जिसे प्रसिद्ध गुरु रतिकांत मोहापात्रा और उनकी टीम ने प्रस्तुत किया। ओडिसी नृत्य में “शिव तांडव स्तोत्रम्” और “रामचरित मानस” से शबरी पर आधारित नृत्य नाटिका ने दर्शकों को भावनात्मक रूप से छुआ। इस प्रस्तुति का समापन भगवान सूर्य की प्रार्थना “वंदे सूर्यम” के साथ हुआ।
संवाद सत्र आयोजित हुआ
साथ ही, खजुराहो में नृत्य मंदिरों से जुड़ी आध्यात्मिक अनुभूतियों पर भी एक संवाद सत्र आयोजित हुआ। इस सत्र में कथक गुरू रजनी राय ने नृत्य और मंदिर के संबंधों पर प्रकाश डाला और खजुराहो के मंदिरों में नृत्य करने को आध्यात्मिक अनुभव बताया। बाल नृत्य महोत्सव भी इस दिन का आकर्षण बना, जिसमें इंदौर और जबलपुर की बाल कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। भरतनाट्यम और कथक की प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया और बाल नर्तकों ने नृत्य की अपनी कला में भाव और अभिनय का सुंदर संयोजन प्रस्तुत किया। 51वें खजुराहो नृत्य समारोह का यह दिन नृत्य और कला की हर रूप से विशिष्टता और समृद्धि को प्रदर्शित करता हुआ देखा गया।