पीडियाट्रिक्स यूनिट का ये है उद्देश्य
इस यूनिट में डीईआईसी, एसएनसीयू और मदर वार्ड जैसी अत्यंत महत्वपूर्ण सुविधाओं का संचालन किया जाएगा। 1.45 करोड़ की लागत से बनाए जा रहे इस यूनिट में कुल 20 कमरे हैं, जिनमें से कुछ कमरों का इस्तेमाल स्टाफ, लेबर रूम, एसएनसीयू वेटिंग रूम, डॉक्टर रूम और नवजात शिशुओं की देखभाल के लिए किया जाएगा। इसके अलावा, 10 बिस्तर का मदर वार्ड भी बनाया गया है। इस यूनिट का उद्देश्य एक छत के नीचे बच्चों को बेहतर इलाज मुहैया कराना है।
अधूरी सुविधाओं से हो रही समस्या
हालांकि, इस यूनिट का निर्माण कार्य दो साल पहले शुरू हुआ था और इसे एक साल पहले अस्पताल प्रबंधन को सुपुर्द कर दिया जाना था, लेकिन समय रहते पूरा न हो पाने के कारण कई सुविधाएं अधूरी पड़ी हैं। विशेष रूप से, ऑक्सीजन पाइपलाइन और बिजली फिटिंग के कार्य अभी भी पूरे नहीं हुए हैं। इसके बावजूद, अस्पताल प्रशासन ने डीईआईसी को इस अधूरे यूनिट में शिफ्ट कर दिया है, जिसके कारण केंद्र की कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही है।
सिविल सर्जन ने दी चेतावनी
सिविल सर्जन डॉ. जीएल अहिरवार ने इस मुद्दे पर गहरी नाराजगी जताई और ठेकेदार को चेतावनी दी कि निर्धारित समय-सीमा के भीतर अधूरे काम को पूरा किया जाए। 15 फरवरी तक कार्य पूरा करने का आश्वासन दिया गया था, जिसके बाद ऑक्सीजन पाइपलाइन सहित अन्य कार्यों को पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद, सब इंजीनियर अंशुल खरे को कड़ी हिदायत दी गई कि वह सभी कार्यों को शीघ्र पूरा करें।
अस्पताल प्रबंधन का बयान
अस्पताल प्रबंधन ने साफ किया है कि जब तक यूनिट का काम 100 प्रतिशत पूरा नहीं हो जाता, तब तक इसे सुपुर्द नहीं किया जाएगा। डॉ. जीएल अहिरवार के अनुसार, एक बार टीम संतुष्ट हो जाने के बाद ही यूनिट का हैंडओवर किया जाएगा। यह उम्मीद जताई जा रही है कि अगले महीने तक पीडियाट्रिक्स यूनिट का काम पूरा हो जाएगा और यह यूनिट विधिवत काम करना शुरू कर देगी। इस बीच, जिला प्रशासन ने ठेकेदार को कार्य को पूरा करने के लिए कड़े निर्देश दिए हैं, ताकि मरीजों को जल्दी से अच्छी सुविधाएं मिल सकें और बच्चों के इलाज में कोई परेशानी न हो।