छिंदवाड़ा के पूर्व, पश्चिम तथा पांढुर्ना जिले के अलग किए गए पांढुर्ना वनमण्डल में इस समय 45 हजार मानक बोरा का लक्ष्य तय किया गया है। इनमेंं पूर्व, पश्चिम और दक्षिण वनमण्डल की हिस्सेदारी अलग-अलग है। इनकी वन समितियां ही इसका प्रबंधन करती रही हैं। इससे मजदूरों को मजदूरी के साथ बोनस भी हर वर्ष मिलता आया है। करीब 35 हजार परिवार इस रोजगार से जुड़े हुए हैं।
तेंदूपत्ता की पैदावार मौसम पर निर्भर
देखा जाए तो तेंदूपत्ता का साख कर्तन मार्च में हुआ था। दो माह में इसके पेड़ हरे पत्तों से लद जाते हैं। पिछले तीन साल से अप्रेल-मई में बारिश से तेंदूपत्ता प्रभावित होता आया है। इस साल अप्रेल में तापमान 41 डिग्री पर आ जाने से इसके जल्द परिपक्व होने की संभावना है। वन अधिकारी भी मान रहे हैं कि तेंदूपत्ता की पैदावार मौसम पर ज्यादा निर्भर है।मई में मौसम मेहरबान तो लक्ष्य पार होगा
अप्रेल के साथ मई में आंधी-तूफान, बादल और बारिश की संभावनाएं अधिक होती है। जिस तरह अप्रेल में तापमान की गति तीव्र है, उससे संभावना यही है कि मई की शुरुआत में तेंदूपत्ता की तुड़ाई प्रारंभ हो जाएगी। 15 अप्रेल तक संग्रहण का कार्य पूरा हो जाएगा। दस प्रतिशत संभावना मौसम के विपरीत होने पर है।इनका कहना है
तेंदूपत्ता की तुड़ाई मई में तय समय पर शुुरू हो जाएगी। इसके लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे दी गई है। तेंदूपत्ता संग्राहकों को मजदूरी भी चार हजार प्रति मानक बोरा होगी।-एलके वासनिक, डीएफओ पांढुर्ना और पूर्व वनमण्डल