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दमोह

जिले में अवैध पैथोलॉजी लैब्स की भरमार, अप्रशिक्षित कर रहे गंभीर बीमारियों की जांचे

जिले में पैथोलॉजी लैब्स का संचालन तय मानकों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

दमोहMay 14, 2025 / 10:14 am

pushpendra tiwari

दमोह. जिले में पैथोलॉजी लैब्स का संचालन तय मानकों को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और प्रशासनिक अनदेखी के चलते जिले में वैध रूप से पंजीकृत पैथोलॉजी की तुलना में चार गुना अधिक संख्या में अवैध लैब्स धड़ल्ले से संचालित हो रही हैं। चिंता की बात यह है कि इनमें बिना किसी योग्यता वाले कर्मचारी कार्यरत हैं, जो गंभीर रोगों की जांच कर रहे हैं।
परिणामस्वरूप अप्रशिक्षित कर्मचारी खून, यूरिन, शुगर सहित विभिन्न रोगों की जांच कर रहे हैं, जिससे गलत रिपोर्ट की आशंका बनी रहती है। यह मरीजों के स्वास्थ्य के साथ सीधा खिलवाड़ है।

जिले में से 50 ज्यादा लैब्स, अधिकांश अवैध
जानकारी के अनुसार जिले में 50 से अधिक पैथोलॉजी लैब्स संचालित हो रही हैं, जिनमें से अधिकांश बिना रजिस्ट्रेशन और योग्य स्टाफ के हैं। न सिर्फ दमोह शहर, बल्कि हटा, पथरिया, तेंदूखेड़ा, जबेरा और बटियागढ़ जैसे तहसील मुख्यालयों में भी यह स्थिति बनी हुई है। सूत्रों की मानें तो इन अवैध लैब्स का निजी क्लीनिक से गठजोड़ है। कई डॉक्टर इन्हीं लैब्स से मरीजों की जांच करवा रहे हैं, जहां मरीजों से मनमानी फीस वसूल की जा रही है।
जिला अस्पताल में भी डेरा

बता दें कि जिला अस्पताल की लैब से जांच कराने के लिए हर दिन दर्जनों मरीज पहुंचते हैं, लेकिन कई बार मरीज ऐसे मिलते हैं, जिनका इलाज जिलाअस्पताल से चलता है और उनकी खून की जांच बाहर लैब से होती है। मामले में जानकारी यह भी है कि जिला अस्पताल की लैब में निजी लैब के एजेंट मौजूद बने रहते हैँ, जो भर्ती मरीज के परिजनों के संपर्क में आकर बाहर से जांच कराने सेंपल ले जाते हैं।
क्या कहती है गाइडलाइन…

1. सिर्फ वही लैब चला सकता है जिसके पास मान्यता प्राप्त पैथोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री हो और मध्यप्रदेश मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण हो।

2. लैब में सिर्फ क्वालिफाइड टेक्नीशियन को कार्य की अनुमति, पर वे लैब नहीं चला सकते। इन्हें सह चिकित्सीय परिषद से मान्यता प्राप्त होना अनिवार्य है।
3. लैब में वही जांच की जा सकती है, जिनके लिए आवश्यक उपकरण मौजूद हों। सभी प्रकार की जांच की खुली अनुमति नहीं दी जा सकती।

4. बीएससी/एमएससी, डिप्लोमा इन क्लीनिकल पैथोलॉजी या लैब टेक्नोलॉजी के आधार पर कोई भी व्यक्ति लैब नहीं चला सकता या खुद को पैथोलॉजिस्ट नहीं कह सकता।
5. बिना योग्यता लैब चलाना अपराध है। ऐसे मामलों में दोषी को 3 साल की जेल और 5,000 रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

वर्जन

निजी क्लिनिकों की जांच जारी है। जल्द ही सभी पैथोलॉजी लैब्स की भी जांच की जाएगी और इनमें नियमों का उल्लंघन पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। -डॉ. मुकेश कुमार जैन, सीएमएचओ दमोह

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