Mahashivratri 2025: अडिग भक्तों की संख्या कम नहीं हो रही
यहां तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को पहाड़ी रास्तों, जंगली जानवरों, झरनों और पथरीले रास्तों का सामना करना पड़ता है। गुडरा नाला को तीन बार पार करने के बाद ही वे तुलार धाम के समीप पहुंच पाते हैं। तुलार गुफा में स्थित शिवलिंग के दर्शन के लिए बारसूर, गीदम, दंतेवाड़ा, जगदलपुर, कांकेर, भैरमगढ़ और
बीजापुर जैसे क्षेत्रों से भक्त पहुंचते हैं।
महाशिवरात्रि के दिन यहां जलाभिषेक के लिए दूर-दराज से भक्त पहुंचते हैं। हालांकि, नक्सलियों के कारण सड़क की मरम्मत पिछले 30 वर्षों से नहीं हो पाई है, फिर भी स्थानीय ग्रामीण हर साल श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रास्ते की सफाई करते हैं, ताकि लोग बाइक और साइकिल पर यहां पहुंच सकें। गौरतलब है कि इस क्षेत्र में हाल ही में नक्सलियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ भी हुई थी, जिसके कारण श्रद्धालुओं में डर का माहौल है। इसके बावजूद, महादेव की भक्ति में अडिग भक्तों की संख्या कम नहीं हो रही है।
मनोकामनाओं की पूरी होने की कथा
बारसूर के युवा पत्रकार जोगेश्वर नाग बताते हैं कि यह गुफा साल में एक बार ही खुलती है, और वे बचपन से ही यहां आते रहे हैं। उनका कहना है कि भक्त अक्सर अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए तुलार धाम जाते हैं। कई लोग अपनी परेशानियों और बीमारियों के इलाज के लिए यहां पूजा-अर्चना करते हैं, और उन्हें महादेव ने आशीर्वाद भी दिया है। कैसे पहुंचे यहां तक?
Mahashivratri 2025: यह गुफा गीदम के बारसूर से लगभग 30 किमी दूर स्थित है, और तकरीबन दुर्गम रास्तों से होते हुए यहां पहुंचना होता है। बारसूर के नजदीक कौशलनार, मुचनार, बाघधार टेमरुभाटा घाट से
इंद्रावती नदी को पार करने के बाद कोसलनार, मंगनार, गुफा गांव होते हुए तोड़मा गांव तक यहां पहुंचा जा सकता है।