Advocates Amendment Bill 2025: संवैधनिक अधिकार भी समाप्त
वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि नए कानून के तहत बार
काउंसिल में केंद्र सरकार द्वारा तीन सदस्य नामित किए जाएंगे (प्रस्तावित संशोधन धारा 04), जिससे सरकार का सीधे-सीधे दखल होगा। इसके अलावा, प्रस्तावित संशोधन धारा 35ए के तहत अन्याय या अत्याचार होने पर किसी भी संगठन को प्राप्त शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के संवैधनिक अधिकार को भी समाप्त किया जा रहा है।
इस संबंध में कोई भी अधिवक्ता हड़ताल नहीं कर सकेगा, न ही कार्य से विरत रहेगा और न ही किसी न्यायालय का बहिष्कार करेगा। यदि वह अधिवक्ता ऐसा करता है तो उसे राज्य के एडवोकेट रोल लिस्ट से हटा दिया जायेगा (प्रस्तावित संशोधन धारा 26ए)। उन्होंने यह भी बताया कि नए संशोधन के तहत, अधिवक्ता के व्यवहार की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी।
जिसमें सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के पूर्व जज और वरिष्ठ अधिवक्ता शामिल होंगे (प्रस्तावित संशोधन धारा 09)। वर्तमान में यह जांच प्रक्रिया प्रजातांत्रिक तरीके से निर्वाचित बार काउन्सिल द्वारा की जाती है, और इसके आदेशों को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है।
बिल वापस नहीं लेने पर होगा उग्र आंदोलन
जिला अधिवक्ता संघ
दंतेवाड़ा ने इन संशोधनों के विरोध में जमकर नारेबाजी की और जिला न्यायालय परिसर से रैली निकालकर जिला कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी को महामहिम राष्ट्रपति के नाम अधिवक्ता संशोधन बिल के विरोध में ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ता संघ ने चेतावनी दी है कि यदि केंद्र सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती, तो वे उग्र प्रदर्शन करेंगे।
न्यायालयों में विदेशी दखल बढ़ने की आशंका
Advocates Amendment Bill 2025: इसके अतिरिक्त, प्रस्तावित संशोधन धारा 49 ए(1) के तहत केंद्र सरकार विदेशी लॉ फर्मों को भारत में वकालत करने की अनुमति देने के लिए नियम बना सकेगी। इस कदम से देश के अधिवक्ताओं के हित प्रभावित होंगे और न्यायालयों में विदेशी दखल बढ़ने की आशंका है, जो देश की कानून व्यवस्था को भी प्रभावित करेगा।