माघ पूर्णिमा का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन गंगा, यमुना या त्रिवेणी संगम जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस तिथि पर पवित्र स्नान से ही मनुष्य के पापों का नाश होता है और आत्म शुद्धि मिलती है।इसके अलावा यह दिन भगवान विष्णु और शिव की पूजा के लिए भी खास है। माघ मास में नियमित स्नान, दान और व्रत से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। माघ पूर्णिमा के दिन किए गए दान, जैसे अनाज, वस्त्र, या धन, का पुण्य कई गुना अधिक होता है।
शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा की शुरुआत 11 फरवरी मंगलवार को शाम 06 बजकर 55 मिनट पर होगी। वहीं अगले दिन 12 फरवरी दिन बुधवार को शाम 07 बजकर 22 मिनट पर संपन्न होगी।पूजा विधि
माघ पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि नदी में स्नान संभव न हो, तो घर पर ही स्नान करते समय जल में गंगाजल मिलाएं। भगवान विष्णु और शिव का अभिषेक करें। उन्हें तिल, गुड़, और फूल अर्पित करें।दान-पुण्य
माघी पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की कथा सुनें या पढ़ें। भगवान विष्णु की काथ सुनने से जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। पूजा के बाद गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और दान देना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसलिए अपनी क्षमता अनुसार गरीबों को कुछ दान करें।माघ पूर्णिमा से जुड़े धार्मिक कार्य
गंगा स्नान: माघ मास में गंगा स्नान को सर्वाधिक पुण्यदायी माना गया है। यह मोक्ष प्राप्ति और पापों के नाश का मार्ग है। ध्यान और साधना: इस दिन ध्यान और साधना करने से आत्मिक शांति मिलती है।माघ पूर्णिमा केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और धर्म के प्रति आस्था का प्रतीक है। यह दिन हमें प्रकृति, जीवन, और ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर देता है।