नर्मदा का धार्मिक महत्व
हिंदू ग्रंथों के अनुसार नर्मदा भगवान शिव के आशीर्वाद से जन्मी है। स्कंद पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है। गंगा के समान पवित्र
मान्यता है कि जो पुण्य गंगा में स्नान से प्राप्त होता है, वही केवल नर्मदा दर्शन से ही मिल जाता है। इसलिए इसे देखनें मात्र से पावन करने वाली नदी कहा जाता है।
ओंकारेश्वर और महेश्वर के समीप बहती है
नर्मदा नदी के किनारे कई प्रमुख तीर्थस्थल हैं, जिनमें ओंकारेश्वर, महेश्वर, अमरकंटक और होशंगाबाद प्रमुख हैं। ये स्थान शिव भक्ति के केंद्र हैं। नर्मदा परिक्रमा
नर्मदा की परिक्रमा करना एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान है। बहुत से श्रद्धालु मां नर्मदा की पद यात्रा करते हैं, जो कई महीनों में पूरी होती है। इसे करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है। नर्मदेश्वर शिवलिंग
नर्मदा के तट से प्राप्त शिवलिंगों को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है। मान्यता है कि ये स्वयं प्रकट होते हैं और बिना किसी विशेष प्रक्रिया के पूजनीय होते हैं।
नर्मदा पूजा विधि
- नर्मदा जल लेकर भगवान शिव या किसी देवी-देवता पर अर्पण करें।
- स्नान करते समय “ॐ नमः शिवाय” या “नर्मदे हर” मंत्र का जाप करें।
नर्मदा जल का प्रयोग
- नर्मदा का जल घर में रखना शुभ माना जाता है।
- इसका उपयोग अभिषेक, हवन और अन्य धार्मिक कार्यों में किया जाता है।
दीप दान
- संध्या के समय नर्मदा तट पर दीपदान करना शुभ होता है।
- इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और पितरों को शांति मिलती है।
नर्मदा अष्टक या नर्मदा स्तोत्र का पाठ
- विशेष रूप से नर्मदा अष्टक और नर्मदा चालीसा का पाठ करने से सुख-समृद्धि मिलती है।
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