cyber fraud : विभागीय कार्य करते समय कई महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारी ऑनलाइन पोर्टल और कप्यूटर पर सुरक्षित रखी जाती हैं। इसमें कर्मचारियों के वेतन-भत्ते और बैंक अकाउंट नबर भी शामिल हैं। साइबर अपराधियों की नजर इन्हीं जानकारियों पर रहती है। इंटरनेट कनेक्ट करते समय साइबर ठगी का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए समय-समय पर सिस्टम से अनचाही फाइल्स और कुकीज क्लीन करते रहें। मजबूत पासवर्ड बनाएं और उसे स्टोर न करें। ये बातें पत्रिका रक्षा कवच अभियान के अंतर्गत ई-दक्ष केंद्र में साइबर विशेषज्ञ और वरिष्ठ प्रशिक्षक संदीप पाण्डेय और प्रशिक्षक स्वाति जैन ने कहीं।
साइबर सुरक्षा जागरुकता प्रशिक्षण में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, लोक निर्माण विभाग, जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक आयुक्त वाणिज्यिक कर, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण, कुलसचिव रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय तथा क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं के शासकीय सेवकों को कार्यालयों एवं व्यक्तिगत उपयोग के विभिन्न क्षेत्रों बैंकिंग, मोबाइल, एटीएम, ई-मेल, सोशल मीडिया, पब्लिक वाईफाई आदि के उपयोग में होने वाले साइबर अपराध के बारे मे जानकारी दी गई।
विशेषज्ञ पाण्डेय ने कर्मचारियों को साइबर अपराध के इतिहास, प्रकार, साइबर सुरक्षा, सावधानियां और साइबर कानून की जानकारी दी। साइबर अपराध की शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया बताई। वर्तमान में प्रचलित डिजिटल अरेस्ट, साइबर ग्रूमिंग, साइबर स्टाकिंग, फिशिंग, विशिंग, डेबिट-क्रेडिट कार्ड स्कीमिंग, पोंज़ी स्कीम, क्यूआर कोड फ्रॉड, हनी ट्रैप, वाईफाई हैकिंग, रैनसमवेयर, वायरस, वर्म, ट्रैपडोर और बैकडोर की जानकारी दी।
cyber fraud : मेल पर साझा न करें जानकारी
विशेषज्ञों ने बताया कि ई-मेल अकाउंट विजिट करते समय अनजान अकाउंट से आई मेल या अटैचमेंट्स न खोलें। मेल पर बैंक अकाउंट और एटीएम नबर साझा नहीं करें। मेल पर आई अननोन लिंक को न खोलें। कार्य होने पर मेल अकाउंट को साइन आउट करना न भूलें। ब्राउजर पर अपना पासवर्ड सेव करके न रखें।
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