यादव ने कहा कि पत्रिका में प्रकाशित होती आ रही ‘द इनर वुमन’ पुस्तक के अंश वे लगातार पढ़ते रहे हैं। दूसरी पुस्तक ‘मेरे भीतर मैं’, भगवद्गीता के श्लोकों पर लिखी गई है। उन्होंने कहा कि वे गुलाब कोठारी की लेखनी के लिए उन्हें और पत्रिका समूह को बधाई देते हैं।
गुलजार की पंक्ति ‘किताबें झांकती हैं बंद अलमारी के शीशों से, महीनों अब मुलाकातें नहीं हो पाती, जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं, अब गुजर जाती हैं कंप्यूटर के पर्दों पर, बड़ी बेचैन सी रहती हैं किताबें’ को पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि यह पत्रिका बुक फेयर किताबों की इसी बैचेनी को समाप्त करेगा। फेयर में मंत्री यादव ने स्टॉल्स का अवलोकन किया और किताबें भी खरीदी।
‘मानस’ लिखना बहुत बड़ी साधना
पहले सत्र में गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘मानस’ पर चर्चा हुई। सेंट्रल स्टेज पर आयोजित सत्र में राजस्थान विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राजेंद्र प्रसाद शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार आनंद जोशी ने ‘मानस’ के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। शर्मा ने बताया कि मन को समझना आसान नहीं है, ऐसे मेें मन के विषय को आधार बनाकर पुस्तक ‘मानस’ लिखना बहुत बड़ी साधना के समान है।
जोशी ने बताया कि गुलाब कोठारी की पुस्तक ‘मानस’ सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला कालजयी ग्रंथ है। सरल भाषा में लिखा गया यह ग्रंथ आम आदमी के लिए बेहद उपयोगी है। सत्र को मॉडरेट करते हुए वेद विज्ञान अध्ययन एवं शोध संस्थान से जुड़े सुकुमार वर्मा ने बताया कि ‘मानस’ के चौदह भाग हैं और तेरह भाषाओं में इसका अनुवाद हो चुका है। यह ग्रंथ मन की गुत्थियों को खोलते हुए पाठकों के समक्ष विभिन्न विषय प्रस्तुत करता है। सत्र में गुलाब कोठारी के कृतित्व पर आधारित फिल्म भी दिखाई गई।