क्या कहा मंत्री अविनाश गहलोत ने?
विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक सवाल के जवाब में मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि पिछले बजट 2023-24 में आपने हर बार की तरह ‘आपकी दादी’ इंदिरा गांधी के नाम पर इस योजना का नाम रखा है। इस टिप्पणी के तुरंत बाद विपक्षी कांग्रेस विधायक नाराज हो गए और इसे पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान करार देते हुए विरोध जताया।
कांग्रेस विधायकों का वॉकआउट
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने मंत्री के बयान पर कड़ा ऐतराज जताया। टीकाराम जूली बोले कि, इंदिरा गांधी केवल कांग्रेस की नेता नहीं थीं, बल्कि देश की प्रधानमंत्री थीं। उनके लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना निंदनीय है। वहीं, गोविंद सिंह डोटासरा ने आरोप लगाया कि सरकार खुद सदन में व्यवधान डालना चाहती है। उन्होंने कहा कि हम सदन में गाली नहीं सुनेंगे। सत्ता पक्ष ही नहीं चाहता कि विधानसभा सुचारू रूप से चले।
सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित
मंत्री की टिप्पणी पर कांग्रेस विधायक सदन के वेल में आ गए और जोरदार नारेबाजी करने लगे। सुबह 11:36 बजे विधानसभा में बढ़ते हंगामे को देखते हुए स्पीकर वासुदेव देवनानी ने सदन की कार्यवाही 30 मिनट के लिए स्थगित कर दी। 12:36 बजे सदन दोबारा शुरू हुआ, लेकिन कांग्रेस विधायकों का प्रदर्शन जारी रहा। अंततः 2:00 बजे तक कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
संसदीय कार्यमंत्री ने किया बचाव
संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल ने मीडिया से बातचीत में मंत्री अविनाश गहलोत का बचाव किया। उन्होंने कहा कि हमारी संसदीय भाषा में दादा, नाना, मामा, नानी सम्मानजनक शब्द हैं। जब गांधीजी को ‘दादा’ कहा जा सकता है, तो इंदिरा गांधी को ‘दादी’ कहना भी सम्मानजनक है। पटेल ने कांग्रेस पर सदन में जानबूझकर हंगामा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आज हमारे मंत्री प्रश्नों के प्रभावी जवाब दे रहे थे, लेकिन कांग्रेस ने जानबूझकर व्यवधान डाला। कांग्रेस नेता स्पीकर के पास पहुंच गए और धमकाने लगे।
‘यह सदन चलाने वाले लक्षण नहीं हैं’
विधानसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने सरकार और स्पीकर पर तीखा हमला किया। उन्होंने कहा कि मंत्री अविनाश गहलोत इंदिरा गांधी को ‘आपकी दादी’ कहकर विपक्ष को उकसाना चाहते हैं। यह संसदीय परंपराओं के खिलाफ है। अगर किसी विधायक ने सरकार के आंकड़ों को गलत कहा तो उसे कार्यवाही से हटा दिया गया, लेकिन मंत्री के बयान को हटाने की कोई पहल नहीं हुई। यह पूरी तरह से सत्ता पक्ष की मनमानी है।