यह कहना है राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के चेयरमैन आलोक राज का। उन्होंने जवाहर कला केन्द्र में संचालित पत्रिका बुक फेयर में शुक्रवार को ’बुक शेप कैरेक्टर एंड नेशन’ सत्र में चर्चा की। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों का पतन होगा तो देश विश्व गुरु नहीं बन सकता। नैतिक मूल्यों के साथ समय की पाबंदी भी जरूरी है। सशक्त नैतिक मूल्य है तो आप देश को आगे ले जा सकते हैं। भ्रष्टाचार के बिना काम नहीं होगा, इसे मान लेना दुख की बात है।
जिम्मेदार लोगों को आगे बढ़ना होगा
उन्होंने कहा कि आगे बढ़ने के लिए दो रास्ते जरूरी हैं। पहला जिम्मेदार लोगों को आगे बढ़कर नेतृत्व करना होगा। भारतीय सेना इसलिए विजयी होती है कि उसमें जिम्मेदार ही आगे रहता है। इसलिए सैनिक वही है, जो देश को आगे रखे। दुकानदार भी क्वालिटी का सामान बेचकर, लोग खाना-पीना वेस्ट नहीं कर, सफाई कर्मी अच्छी सफाई कर, विद्यार्थी अच्छे से पढ़कर भी सैनिक की भूमिका निभा सकता है। माता-पिता, अध्यापक व किताबें एक ही श्रेणी के हैं। सोशल मीडिया का ज्ञान प्रामाणिक नहीं है।
कुर्सी छोड़ दूंगा
चेयरमैन आलोक राज ने कहा कि सरकार किसी मामले को लेकर अगर मुझ पर जांच बैठाएगी तो मैं तत्काल कुर्सी छोड़ दूंगा। अगर खुद आगे बढ़कर पहल करेंगे तो निचले स्तर के कार्मिक अपने आप समझ जाएंगे।
व्यक्तित्व निखारने पर कोई ध्यान नहीं
उन्होंने कहा कि अमरीका में औसतन युवा एक वर्ष में 12 पुस्तकें (कोर्स के अलावा) पढ़ता है। जबकि भारत में एक तिहाई आबादी कोई किताब नहीं पढ़ती। बच्चे पाठ्यपुस्तक नहीं पढ़ते, कुंजी पढ़ रहे हैं। व्यक्तित्व निखारने को लेकर कोई ध्यान नहीं देता। ऐसे में विफल होने पर गलत कदम उठाते हैं।