Rajasthan Tourism: त्रिवेणी संगम के विकास से रामेश्वर घाट बनेगा धार्मिक टूरिज्म का बड़ा केंद्र, 65 करोड़ होंगे खर्च
Rajasthan Tourism: राजस्थान सरकार के बजट में सवाईमाधोपुर जिले को दिल खोल कर सौगात दी हैं। वित्त मंत्री के त्रिवेणी संगम के विकास की घोषणा ने जिले में वन्यजीव पर्यटन के साथ ही धार्मिक पर्यटन का एक नया विकल्प खोल दिया है।
सवाईमाधोपुर। राजस्थान सरकार के बजट में सवाईमाधोपुर जिले को दिल खोल कर सौगात दी हैं। वित्त मंत्री के त्रिवेणी संगम के विकास की घोषणा ने जिले में वन्यजीव पर्यटन के साथ ही धार्मिक पर्यटन का एक नया विकल्प खोल दिया है।
वहीं त्रिनेत्र गणेश मंदिर का जीर्णोंद्धार, भूरी पहाड़ी को डेजर्ट पर्यटन के रूप में विकसित करने से जिले को नए आयाम मिलेंगेे। रामेश्वर घाट को त्रिवेणी संगम के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके लिए 65 करोड़ का बजट खर्च होगा। ऐसे में यहां पर्यटन सर्किट भी बन सकेगा। वहीं धार्मिक आस्था के केन्द्र के रूप में इसका विकास होने से धार्मिक टूरिज्म भी बढ़ेगा।
गौरतलब है कि रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान से 65 किमी दूर स्थित रामेश्वर धाम क्षेत्र में राजस्थान मध्यप्रदेश राज्यों का केन्द्र राजस्थान से बहने वाली चम्बल व बनास तथा मध्यप्रदेश से बहने वाली सीप नदियों का संगम होता है। यह त्रिवेणी संगम श्रद्धालुओं व पर्यटकों को आकर्षित करता है।
ऐसे में संगम पर अलग से घाट बनने से यहां पर्यटन व धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल सकेगा। ऐसे में पर्यटन गतिविधियां बढ़ेगी। ऐसे में यहां अलग से घाट बनाने व अन्य सुविधा मुहैया करने से रामेश्वरधाम के आकर्षण को चार चांद लगेंगे,वहीं राज्य सरकार वे पर्यटन विभाग को राजस्व भी मिलेगा।
संगम के सामने है मध्यप्रदेश का रामेश्वर मंदिर
संगम स्थल के ठीक सामने चम्बल के रास्ते करीब पांच सौ मीटर से अधिक दूरी पर मध्यप्रदेश राज्य स्थित रामेश्वरधाम मंदिर है। यहां से श्रद्धालुओं को नाव के रास्ते श्रद्धालुओं व पर्यटकों को आसानी से कनेक्टिवटी मिल सकेगी। ऐसे में परशुराम घाट के समीप गंगा माता के मंदिर त्रिवेणी संगम स्थल तक सडक़ बनने से श्रद्धालुओं व पर्यटकों की दूरी कम होगी।
परशुराम घाट से त्रिवेणी तक की होगी कायापलट
यहां रामेश्वरधाम स्थित परशुराम घाट से लेकर त्रिवेणी सगंम तक करीब एक किलोमीटर दूरी है। ऐसे में परशुराम घाट का विस्तार कर उसे त्रिवेणी संगम तक बढ़ाया जाने की उम्मीद जागी है। । इस दौरान परशुराम घाट व त्रिवेणी संगम पर दो अलग अलग घाट बनने से धार्मिक व पर्यटन गतिविधियां बढ़ सकेगी। परशुराम घाट से त्रिवेणी संगम के बीच पर्यटकों के बैठने के लिए अलग अलग पार्क विकसित हो सकेंगे। वहीं नाव संचालन के लिए अलग से स्थान बनाए जाने की संभावना है। ताकि नाव में बैठने के दौरान चम्बल नदी में होने वाले हादसों से बचा जा सके।
संगम में है पर्यटन की अपार संभावनाएं
यहां त्रिवेणी संगम इलाके में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं है। यहां सर्दी के मौसम में कई प्रकार के देशी विदेशी पक्षी आते है। ऐसे में वे सर्दी में यहां ही रहते है। इसके अलावा नदी में घड़ियाल, विशालकाय मगरमच्छ सहित कई प्रकार की मछलियां कलरव करती देखी जा सकती है। साथ ही नौकायन का केन्द्र भी बन सकता है। संगम स्थल से कुछ ही दूरी पर आध्यात्म का केन्द्र तपोवन है। ऐसे में श्रद्धालु व पर्यटक दिनभर यहां चम्बल सफारी का लुत्फ उठा सकते हैं।
बजट में हेरिटेज को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आइकोन ट्यूरिस्ट डेजिनेशन के रूप में खण्डार किले को विकसित करने की बात है। इससे रोजगार के साधन मुहैया होंगे। पर्यटक रणथम्भौर पार्क सहित खण्डार किला, रामेश्वरधाम व घडियाल अभयारण्य में पर्यटन गतिविधियों को एक साथ लुत्फ उठा सकेंगे। खंडार किले में सात कुण्ड, विभिन्न देवी-देवताओं, जयंती माता, नृसिंहधार हनुमान जी, हवामहल, झरोखा आदि हेरिटेज स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ऐसे में किले का विकास होने से यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।