BJP News : राजस्थान के दिग्गज नेताओं के जिलों में फंसा पेंच, अभी तक घोषित नहीं हो पाए जिलाध्यक्ष, जानें क्या है वजह
Rajasthan BJP Organization Elections : भाजपा अगले सप्ताह प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव करवाने की तैयारी में जुट गई है। वहीं, राजस्थान में भाजपा अभी तक सभी जिला अध्यक्षों के चुनाव करवाने में भी सफल नहीं हो पाई है। जानें क्या है वजह?
Rajasthan BJP Organization Elections : भाजपा अगले सप्ताह प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव करवाने की तैयारी में जुट गई है। वहीं, राजस्थान में भाजपा अभी तक सभी जिला अध्यक्षों के चुनाव करवाने में भी सफल नहीं हो पाई है। कई दिग्गज नेताओं के गृह और निर्वाचन जिलों में अध्यक्षों का चुनाव करवाना मुश्किल भरा होता जा रहा है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष के लिए जितने संगठन जिलों में चुनाव करवाने जरूरी हैं, उतने जिलों में चुनाव हो गए हैं। भाजपा ने राजस्थान को 44 जिला संगठनों में बांट रखा है। अब तक 27 जिलों में अध्यक्ष का चुनाव हो चुका है। 17 संगठन जिले ऐसे हैं, जहां अभी भी चुनाव का इंतजार है। सूत्रों के अनुसार इन 17 जिला संगठनों में से दस से ज्यादा जिलों में दिग्गज नेताओं के बीच एक नाम पर सहमति नहीं बन पा रही है।
सीएम, दिया, किरोड़ी, जोशी, राजे औरपूनिया के क्षेत्र में चुनाव होने बाकी
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के संसदीय क्षेत्र चितौड़गढ़-प्रतापगढ़, सतीश पूनिया के जयपुर उत्तर, सीएम भजनलाल शर्मा व डिप्टी सीएम दिया कुमारी के जयपुर शहर, वसुंधरा राजे के निर्वाचन क्षेत्र झालावाड़ और गृह जिला धौलपुर, किरोड़ी के निर्वाचन क्षेत्र और गृह जिले सवाईमाधोपुर-दौसा में पार्टी अभी जिला अध्यक्ष तय नहीं कर पाई है। पार्टी ने प्रतापगढ़ में जिला अध्यक्ष घोषित करने की पूरी तैयारी कर ली थी और जयपुर से खाद्य मंत्री सुमित गोदारा को चुनाव करवाने के लिए रवाना कर दिया, लेकिन प्रतापगढ़ पहुंचने से पहले ही वहां चुनाव स्थगित कर दिए गए। सूत्रों के मुताबिक 17 में से अब ज्यादातर जिलों में चुनाव होना फिलहाल मुश्किल है। इनमें से ज्यादातर जिलों में अध्यक्षों की घोषणा अब प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही होने के आसार हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष पिछले दिनों जयपुर आए थे। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा था कि 80 से 90 प्रतिशत जिलों में अध्यक्षों के चुनाव करवाए जाएं। इसके बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा, लेकिन पार्टी अभी तक करीब 60 प्रतिशत जिलों में ही अध्यक्ष का चुनाव करवा पाई है।