एक नए अध्ययन में पाया गया कि मेनोपॉज के तीव्र लक्षणों का सामना करने वाली महिलाएं जीवन के बाद के समय में सोचने, याद रखने और सीखने में अधिक कठिनाइयों का सामना करती हैं। यह अध्ययन PLOS One में प्रकाशित हुआ था, जिसमें 896 पोस्ट-मेनोपॉज महिलाओं को शामिल किया गया था, जिनकी औसत आयु 64 वर्ष थी।
मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलाव महिलाओं के मूड, मानसिक स्थिति और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। डॉ. नाओमी पॉटर, मेनोपॉज विशेषज्ञ और मेनोपॉज केयर की संस्थापक बताती हैं, “एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन में उतार-चढ़ाव से मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है। जब इन हार्मोन का स्तर घटता है, तो इससे चिंता, चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ सकता है।”
मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन की कमी से स्मृति, ध्यान केंद्रित करने और मानसिक स्पष्टता में कमी हो सकती है। डॉ. एंजेला राय, लंदन जनरल प्रैक्टिस की जीपी, बताती हैं, “मेनोपॉज के दौरान हार्मोन के घटने से महिलाओं को शब्दों को याद करने में दिक्कत, ध्यान केंद्रित करने में समस्या और मस्तिष्क धुंध का सामना करना पड़ता है, जिसे हम ‘ब्रेन फॉग’ कहते हैं।”
कुछ महिलाओं को मेनोपॉज के दौरान अवसाद के लक्षण भी देखने को मिलते हैं। डॉ. पॉटर के अनुसार, “मेनोपॉज के दौरान हार्मोनल बदलाव के कारण मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं, जो अधिक समय तक रह सकती हैं। यह समय महिलाओं के लिए विशेष रूप से संवेदनशील होता है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।”