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जैसलमेर

छतों पर टिन के छप्परों की होड़, फैशन बन रहा जोखिम

तेज अंधड़ व तूफ़ान के मौसम में स्वर्णनगरी में मकानों पर लगे टिन शेड, मार्ग पर लगे पतरे और घरों या गोदामों की छत पर रखे लोहे के भारी होर्डिंग्स हादसे का सबब बने हुए है।

जैसलमेरMay 03, 2025 / 08:22 pm

Deepak Vyas

केस-1: शहर के भीतरी मोहल्ले में एक दोमंजिला मकान की छत पर टिन का छप्पर लगाया गया था। तेज तूफान के दौरान यह छप्पर पंखे सहित उडक़र लगभग 50 फीट दूर एक बिजली के खंभे पर जा गिरा। जिस जगह यह गिरा, वह एक आम रास्ता है और अक्सर लोग वहां से गुजरते हैं। संयोग से उस वक्त कोई वहां मौजूद नहीं था, वरना गंभीर हादसा हो सकता था।
केस-2: गोपा चौक के पास स्थित एक मोहल्ले में लोहे का एक भारी-भरकम बोर्ड तेज अंधड़ में टूटकर गिर पड़ा। यह हादसा रात के समय हुआ और सौभाग्य से उस दौरान आस-पास कोई नहीं था। यह बोर्ड सडक़ किनारे खड़ा था और इसके गिरने से यातायात भी बाधित हुआ।
तेज अंधड़ व तूफ़ान के मौसम में स्वर्णनगरी में मकानों पर लगे टिन शेड, मार्ग पर लगे पतरे और घरों या गोदामों की छत पर रखे लोहे के भारी होर्डिंग्स हादसे का सबब बने हुए है। शहर में अब दो-तीन मंजिला इमारतों की छतों पर टिन, सीमेंट और लोहे के छप्पर लगाना आम बात हो गई है। पहले यह छप्पर कुछ गिने-चुने घरों पर ही नजर आते थे, लेकिन अब यह फैशन का रूप ले चुके हैं। लोग गर्मी और बारिश से बचने के लिए छप्पर लगवाते हैं, लेकिन ये छप्पर तेज हवा या तूफान में उडक़र जानलेवा साबित हो सकते हैं। पत्रिका पड़ताल में यह बात सामने आई है कि कई मकान मालिक बिना किसी इंजीनियरिंग सलाह के लोहे के एंगल पर छप्पर कस देते हैं। समय के साथ नट-बोल्ट ढीले पड़ जाते हैं और एक तेज झोंका भी इन छप्परों को उड़ा देता है। न ही लोग पुराने हादसों से सबक ले रहे हैं और न ही नगर परिषद या प्रशासन की ओर से कोई रोकटोक है।

शहर की विरासत हो रही बदरंग

जैसलमेर को एक जीवित संग्रहालय कहा जाता है। पीत-पाषाण से निर्मित यह शहर अपनी पारंपरिक वास्तुकला और सुनहरी छटा के लिए विश्व प्रसिद्ध है। लेकिन अब ऊंचाई से देखें तो कई मकानों की छतों पर टिन और लोहे के छप्पर नजर आते हैं। इनकी उपस्थिति न केवल शहर की पारंपरिक सुंदरता को बिगाड़ रही है, बल्कि पर्यटन पर भी नकारात्मक असर डाल रही है।

स्थानीय लोग बोले – अब डर लगता है

अब हर दूसरे मकान की स्थिति पहले छप्पर कुछ खास घरों पर होते थे, अब हर दूसरा मकान इसी से ढका है।आंधी के दौरान जो हुआ, वह आंखें खोलने के लिए काफी है। पजिम्मेदारों को अब सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए।
-अर्जुनसिंह, स्थानीय निवासी

अंकुश जरूरी है

जिन घटनाओं में अब तक केवल गनीमत रही है, वही भविष्य में गंभीर हादसों में बदल सकती हैं। जैसलमेर जैसे धरोहर शहर में, जहां हर इमारत ऐतिहासिक पहचान लिए हुए है, वहां अस्थायी और खतरनाक निर्माण पर तत्काल नियंत्रण जरूरी है।
  • मोहिनी देवी, गृहिणी

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