Phalodi Satta Market: फलौदी सट्टा बाजार ने पलटा गेम, कौन जितेगा 2025 का चुनाव की भविष्यवाणी की, भाजपा को झटका?
Phalodi Satta Market: चुनाव की तारीख नजदीक आते आते सट्टा बाजार के समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं। चुनाव में किसे जीत मिलेगी इसे लेकर सट्टा बाजार में बड़ी हलचल है। फलोदी सट्टा बाजार ने मिल्कीपुर उप चुनाव में जीत को लेकर चौंकाने वाली भविष्यवाणी की है। आइए आपको बताते हैं क्या बन रहा चुनावी समीकरण।
Phalodi Satta Market: अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। उपचुनाव के लिए 14 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। शनिवार को 4 निर्दलीय प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिए गए। अब बीजेपी प्रत्याशी चंद्रभानु पासवान और सपा प्रत्याशी अजीत प्रसाद समेत 10 प्रत्याशी मैदान में है। इसी बीच हार-जीत को लेकर फलोदी सट्टा बाजार ने भी भविष्यवाणी कर दी है।
फलौदी सट्टा बाजार के मुताबिक, मिल्कीपुर उपचुनाव में भीम आर्मी की एंट्री से मुकाबला दिलचस्प हो गया है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। हां, ये जरूर है कि सपा और भा की लड़ाई में इसका कुछ असर जरूर पड़ेगा।
17 बार में सिर्फ 3 बार BJP की जीत
ये बात तो साफ है कि मिल्कीपुर उपचुनाव में सपा और भाजपा में सीधी टक्कर है। योगी और अखिलेश यादव के लिए अब ये सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हुई है। पिछला रिकॉर्ड देखें तो मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के लिए हमेश से संघर्षपूर्ण रहा है। अब तक इस सीट पर 17 बार हुए विधानसभा चुनाव भाजपा सिर्फ तीन बार ही जीत हासिल कर पाई है।
मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव की बात करें तो यह तीसरी बार है। पिछले दो चुनाव का रिकॉर्ड भाजपा के लिए बहुत ही खराब रहा है। इन दोनों उपचुनाव में सपा ने जीत हासिल की है। दोनों ही बार चुनाव वर्तमान में रुदौली से भाजपा विधायक रामचंद्र यादव ने जीता था। उस समय वह सपा उम्मीदवार के तौर पर मैदान में थे। अगर इस फैक्टर को देखें तो भारतीय जनता पार्टी के लिए जीत का सफर आसान नहीं लग रहा है।
अवधेश प्रसाद का सियासी रसूख
मिल्कीपुर विधानसभा सीट का गठन 1967 में हुआ था। उपचुनाव में वोटरों की बात करें तो यहां कुल लगभग 3.62 लाख मतदाता हैं। इसमें से 1 लाख, 60 हजार दलित मतदाता हैं। जो मिल्कीपुर उपचुनाव में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। लेकिन 1985 से सोहावल व मिल्कीपुर में हुए विधानसभा चुनावों में आठ बार भाजपा व अन्य विपक्षी दलों ने अवधेश प्रसाद के खिलाफ पासी फैक्टर ही अपनाया लेकिन सफलता नहीं मिली। इस फैक्टर देखते हुए, समाजवादी पार्टी के लिए स्थिति मजबूत नजर आ रही है और वह आगे बढ़ती हुई दिख रही है।