दरअसल, प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली की खपत सुबह 6 बजे से लेकर 8 बजे तक रहती है। इसके बाद शाम 6 बजे से लेकर रात 10 बजे तक बिजली खपत ज्यादा होती है। जिसे अमूमन पीक आवर्स कहा जाता है।
ऐसे होगी बिजली की सप्लाई
सोलर प्लांट के जरिए बिजली सप्लाई होगी। सूर्य की तेज किरणें होने पर अधिक बिजली उत्पन्न होगी। जिसके चलते बैटरी चार्ज हो जाएगी और धीमी होने पर बैटरी में स्टोर बिजली सप्लाई की जाएगी। वैसे सोलर पार्क में सुबह 8 बजे से बिजली बनना शुरू हो जाती है। फिर दोपहर दो बजे के बाद कम होती है। प्रदेश के अंदर मौजूद दूसरे सोलर प्लांट्स से बिजली की आपूर्ति का समय और मात्रा तय नहीं होती, लेकिन मुरैना में जो सोलर प्लांट बनेगा। वहां पर बिजली आपूर्ति तय समय और मात्रा में होगी। विभाग सूत्रों के मुताबिक, सोलर पार्क के लिए पहले टेंडर प्रक्रिया जारी की जाएगी। जिसके मई तक पूरा होने की संभावना है। इसमें 3600 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है। जिसमें 440 मेगावाट की बिजली का लक्ष्य रखा गया है। बिजली सप्लाई करने के लिए बैटरी का इस्तेमाल किया जाएगा। जो कि प्लांट में बनने वाली बिजली से चार्ज होंगी। बताया जा रहा है कि प्रोजेक्ट की कुल क्षमता 1400 मेगावाट है।