तीन साल पहले अलवर के बहरोड़ में 10वीं की छात्रा से प्रिंसिपल व तीन शिक्षकों की ओर से एक साल तक बलात्कार करने के बाद गत दिनों चित्तौडगढ़़ में शिक्षक-शिक्षिका की अश्लील हरकतों का वायरल वीडियो सरकारी स्कूलों पर सवाल खड़े कर रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में बलात्कार की जितनी घटनाएं रिपोर्ट होती हैं, उनमें से करीब 25 प्रतिशत में पीडि़ता नाबालिग है। यानी हर चौथा बलात्कार 18 साल से कम उम्र की बेटी से होता है। वर्ष 2019 से 2023 तक प्रदेश की सरकारी स्कूलों में बालिकाओं से छेड़छाड़ व बलात्कार के 60 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं, जिनमें 46 शिक्षकों को निलम्बित किया गया तथा दो को सेवा से हटाया।
5 वर्ष में सरकारी विद्यालयों में बालिकाओं से छेड़छाड़, बलात्कार के मामले जिला – प्रकरण अजमेर – 4 अलवर – 3 अनूपगढ़ – 5 ब्यावर – 2 भरतपुर – 3
भीलवाड़ा – 4 डीडवाना – 4 डूंगरपुर – 1 फलौदी – 1 जयपुर – 4 झालावाड़ – 2 झुंझुनूं – 2 जोधपुर – 4 खैरथल-तिजारा – 2
नागौर – 5 नीम का थाना – 2 पाली – 1 सलुम्बर – 1 सांचौर – 1 सीकर – 2 श्रीगंगानगर – 4 टोंक – 4 मोबाइल भी बड़ा कारण
शिक्षकों के खिलाफ दर्ज छात्राओं से छेड़छाड़ व बलात्कार के अधिकतर मामलों में मोबाइल पर अश्लील मैसेज व वीडियो भेजने की शिकायत है। एक्सपर्ट व्यू… शिक्षकों में बाल यौन शोषण प्रवृत्ति के कारण
– मनोवैज्ञानिक विकार – पैडोफीलिया, इम्पल्स कंट्रोल डिसऑर्डर, एवं यौन कुंठाएं। – सत्ता का दुरुपयोग – शिक्षक-छात्र के बीच शक्ति असंतुलन का फायदा उठाना। – प्रशासनिक लापरवाही – निगरानी की कमी व कमजोर भर्ती प्रक्रिया।
– नैतिक मूल्यों में गिरावट – अनुशासन व नैतिकता की कमी। इस प्रकार लगा सकते हैं अंकुश – कठोर जांच व मानसिक स्वास्थ्य परीक्षण – शिक्षकों की भर्ती से पहले मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन अनिवार्य हो।
– संस्थागत निगरानी – स्कूलों में सीसीटीवी, गोपनीय शिकायत प्रणाली, एवं सख्त दंड व्यवस्था हो। – बच्चों को जागरूक बनाना – ‘गुड टच-बैड टच’ शिक्षा एवं आत्मरक्षा प्रशिक्षण। – नैतिकता व मानसिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण – शिक्षकों के लिए अनिवार्य नैतिक व साइकोलॉजिकल काउंसलिंग।
– समाज में जागरूकता – मानसिक स्वास्थ्य व यौन शिक्षा पर जोर। – निष्कर्षत: सख्त नियम, प्रभावी निगरानी, और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देकर इस समस्या को रोका जा सकता है। – डॉ. राधेश्याम रोझ, मनोचिकित्सक, जेएलएन अस्पताल, नागौर
गंभीरता दिखाएं सरकार, दोषियों को सजा राजस्थान में आए दिन जिस तरह से मासूम बच्चियों के साथ स्कूलों में बलात्कार व छेड़छाड़ के मामले सामने आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है, निंदनीय है। ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कानून बनने चाहिए और दोषियों को सजा मिले। इसके साथ स्कूल स्तर पर नियम बनाकर बोर्ड पर लिखा जाए, ताकि सबको उनकी जानकारी हो। शिकायत पेटिका की व्यवस्था को भी सार्थक बनाया जाए। स्कूल के प्रिंसिपल खुद सख्त हों, ताकि बदमाशी करने वाले शिक्षक या अन्य कर्मचारी के खिलाफ ठोस कार्रवाई हो सके। इसके साथ बालिकाओं को गुड टच-बेड टच के बारे में बताया जाए। अभिभावक भी सतर्क रहें और बच्चों का ध्यान रखें।
– पुष्पलता व्यास, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, स्कूल शिक्षा विभाग बरत रहा सतर्कता स्कूलों में बच्चियों के साथ छेड़छाड़ व यौन शोषण की घटनाओं को रोकने के लिए शिक्षा विभाग पूरी सतर्कता बरत रहा है। स्कूलों में गरिमा पेटी भी रखवाई गई हैं, जिनमें बालिकाएं खुद का नाम लिखे बिना शिकायत कर सकती हैं। ऐसी शिकायतों को देखने का काम भी महिला शिक्षकों की कमेटी करती है। समय-समय पर बालिकाओं को गुड टच-बेड टच के बारे में बताया भी जाता है।
– अर्जुनराम जाजड़ा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी, माध्यमिक शिक्षा, नागौर इसके लिए प्रदेश के प्रत्येक जिले में राज्य सरकार ने कालिका पेट्रोलिंग टीम गठित की है। यह एक विशेष इकाई है, जिसका उद्देश्य बालिकाओं और महिलाओं को सुरक्षित करना है। टीम को स्कूल एवं कॉलेज में जाकर बालिकाओं को जागरूक करने के साथ उनके साथ अपने मोबाइल शेयर करने के निर्देश हैं, ताकि बालिकाएं संकट में अपनी परेशानी उन्हें बता सके। इसके साथ प्रत्येक थाना क्षेत्र में एक महिला हैल्प डेस्क बनाई गई है, जिसे यह निर्देश दिए गए हैं कि उसमें कार्यरत महिला पुलिस कर्मी अपने थाना क्षेत्र की सभी बालिका स्कूल व कॉलेजों में जाकर उन्हें कानूनी जानकारी दें त?था मनचलों से खुद को कैसे बचा सकते हैं, इसकी जानकारी दी जाए। उके साथ भी मोबाइल नम्बर शेयर करने के भी निर्देश हैं। पोक्सो के मामलों में आरोपी को त्वरित सजा दिलाने के लिए स्पेशल केस में लिया जाता है।
– अजयपाल लांबा, महानिरीक्षक, जयपुर रेंज