scriptExclusive Interview: रेडीमेड रोड, बिल्डिंग और ब्रिज बनेंगे तो लागत भी घटेगी और प्रूदषण भी कम होगा | Exclusive Interview: If readymade roads, buildings and bridges are built, then the cost will reduce and pollution will also decrease | Patrika News
नई दिल्ली

Exclusive Interview: रेडीमेड रोड, बिल्डिंग और ब्रिज बनेंगे तो लागत भी घटेगी और प्रूदषण भी कम होगा

-केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा- शहरों में 90 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन में प्रीकास्ट टेक्नोलॉजी होगी अनिवार्य, देश के हर जिले में एक-एक प्रोजेक्ट शुरू करने की तैयारी

वाटर ग्रिड से सूखे और बाढ़ की समस्या से देश पा सकता है छुटकारा
-गडकरी का दावा- 3 साल में बंद हो जाएगी पराली जलना, 5 लाख करोड़ का तेल आयात कम हुआ तो किसान होंगे मालामाल….पराली से बन रहा इथेनॉल से लेकर हवाई जहाज का ईंधन

नई दिल्लीFeb 07, 2025 / 03:06 pm

Navneet Mishra

नवनीत मिश्र
नई दिल्ली। देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए ‘हाईवे मैन’ कहे जाने वाले केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ऐसे नेता माने जाते हैं, जो समस्याओं के समाधान के लिए नए-नए आइडिया पर कार्य के लिए जाने जाते हैं। गडकरी का कहना है कि अब देश में सड़क और भवन निर्माण के लिए जापान, जर्मनी आदि देशों की तर्ज पर प्रीकास्ट तकनीक को अनिवार्य करने की जरूरत है। बाहर से फैक्ट्रियों में दीवारें, सड़कों के हिस्से, पिलर बनकर आएंगे और मौके पर ही फिट किए जाएंगे.। इससे लागत और प्रदूषण कम होगा। गडकरी ने पत्रिका के विशेष संवाददाता नवनीत मिश्र से बातचीत में सड़क, ट्रैफिक, पानी, इलेक्ट्रिक व्हीकल से लेकर दिल्ली चुनाव से जुड़े मुद्दों पर बात की। पेश है प्रमुख अंश।
सवाल- दिल्ली-मुंबई और दिल्ली देहरादून, दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे कब तक पूर्ण होंगे?

जवाब- दिसंबर 2025 तक दिल्ली से मुंबई 12 घंटे में सफर होगा। राजस्थान में टनल का कार्य फरवरी तक पूर्ण हो जाने की उम्मीद है। बडौदा तक कार्य लगभग पूर्ण है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे से धौलाकुआ से जयपुर तक 50 प्रतिशत ट्रैफिक कम हुआ है। दिल्ली-कटरा एक्सप्रेसवे भी दिसंबर तक पूरा होने से दिल्ली से अमृतसर 4 घंटे और कटरा 6 घंटे और श्रीनगर 8 घंटे में पहुंचेगे। सिख समाज के स्वर्ण मंदिर से लेकर सभी धर्मस्थलों को जोडा जा रहा है। इसी साल अप्रैल तक दिल्ली-देहरादून सिर्फ दो घंटे में पहुंचेगे। दिल्ली एयरपोर्ट से नोएडा के जेवर एयरपोर्ट तक हाईवे भी दिसंबर 2026 तक पूरा होगा। दिल्ली के अंदर ही एक लाख करोड़ के कार्य चल रहे हैं।
सवाल- शहरों में प्रदूषण का एक बड़ा कारण निर्माण कार्य भी हैं। इसका किस तरह से समाधान हो सकता है?
जवाब- प्रीकॉस्टिंग तकनीक को हम अनिवार्य करने की दिशा में कार्य करने जा रहे हैं। इसके लिए जल्द अर्बन अफेयर्स मिनिस्ट्री के साथ मीटिंग में नोट तैयार होंगे। कंस्ट्रक्शन के कारण शहरों में सर्वाधिक प्रदूषण होती है। ऐसे में नए प्लान के मुताबिक रोड, बिल्डिंग और ब्रिज के बड़े-बड़े प्लांट बाहर फैक्ट्रियों में तैयार होंगे और उन्हें नीचे पिलर पर सेट किया जाएगा। फुटपॉथ पर भी बाहर से लाकर रखे जाएंगे। जापान, जर्मनी जैसे देशों में चल रही इस तकनीक के तहत दिल्ली-मुंबई हाईवे में अंडर पास इसी तरह से तैयार हुए हैं। देश के हर जिले में एक-एक प्रोजेक्ट बनाए जाएंगे। बड़े-बड़े स्लैब आएंगे और फिट होंगे।
सवाल- आप कह चुके हैं कि देश में डीजल-पेट्रोल वाहनों को 2024 तक खत्म कर देंगे?
जवाब- यह लक्ष्य कठिन जरूर है, लेकिन असंभव नहीं। दिल्ली में 40 प्रतिशत ट्रैफिक.. प्रदूषण का कारण, पेट्रोल-डीजल है। दिल्ली में 5 वर्षों में सभी इलेक्ट्रिक बसें हो जाएंगी। 22 लाख करोड़ का तेल हम आयात करते हैं। अगर इथेनॉल के इस्तेमाल और इलेक्ट्रिक वाहनों का हम विस्तार करेंगे तो 5 लाख करोड़ का आयात कम कर ले जाएंगे। इसका लाभ इथेऩॉल वाले किसानों को होगा।
सवाल- दिल्ली सहित पड़ोसी राज्यों में पराली की समस्या गहराती जा रही है। हर साल ठंड में सिर्फ हल्ला होता है…लेकिन समस्या जस की तस।
जवाब- पंजाब और हरियाणा में 200 लाख टन पराली जलती होती है। इसमें से 20 लाख टन पराली से सीएनजी का निर्माण होने लगा है। जिससे पराली का भाव ढाई हजार टन हो गया है। पानीपत मे एक लाख लीटर इथेनॉल बन रहा तो 78 हजार टन हवाई ईंधन भी तैयार हो रहा है। मेरा दावा है कि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले 3 वर्षों में पराली जलना बंद हो जाएगी। पराली से बायागैस, इथेनॉल से लेकर हवाई जहाज का ईंधन बनने लगा है। मैं कहता हूं कि अब किसान अन्नदाता नहीं बल्कि ऊर्जादाता, ईंधन और हाईड्रोजन दाता हो गया है। 22 लाख करोड़ का तेल आयात होता है। अगर इथेनॉल से पांच लाख करोड़ का आयात कम हुआ तो इसका सर्वाधिक लाभ किसानों को होगा।
सवाल- आप सड़कों के निर्माण में कचरे के इस्तेमाल पर भी जोर देते हैं। क्या कचरे के निपटारे का यही एकमात्र समाधान है?
जवाब- हमने दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल से 20 लाख टन कचड़ा लेकर एक्सप्रेसवे निर्माण में डाला है। दिल्ली-मेरठ हाईवे के निर्माण के समय अगर फॉरेस्ट मिनिस्ट्री, म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन हमारे सुझाव मान लेता तो मेरा दावा है कि दिल्ली में एक भी जगह कूड़ा नहीं बचता। कचरे को हम कंचन बना सकते हैं। कचरे से जहां रबर, प्लास्टिक, ग्लास आदि का रिसाइक्लिंग करते हैं वहीं आर्गेनिंग वेस्ट से गैंस, सीएनजी और हाईड्रोजन तैयार कर सकते हैं। वेस्ट टू वेल्थ एंड नॉलेज टू वेल्थ का यह मॉडल है।
सवाल- यमुना की सफाई पर केंद्र और राज्य में आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे हैं। अगर राज्य सरकार नहीं किया तो फिर केंद्र अकेले क्यों नहीं कर देती?

जवाब- केंद्र ने दिल्ली को 6 हजार करोड़ रुपये यमुना की सफाई के लिए दिए। दिल्ली सरकार ने अपने हिस्से का 15 प्रतिशत पैसा डालने से भी हाथ पीछे खींच लिया। जिससे यमुना की सफाई नहीं हो सकी। जहां तक आपका सवाल है तो देश में एक संघीय व्यवस्था है। केंद्र के सहयोग से कोई प्रोजेक्ट तभी सफल हो सकता है, जब राज्य अपनी जिम्मेदारियों को निभाए।
सवाल- कई राज्यों में जल समझौतों को लेकर अब तक विवाद चल रहा है। इस दिशा में अब तक केंद्र के प्रयास कितने सफल हुए हैं?

जवाब- मैने राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और हिमाचल के मुख्यमंत्रियों को बुलाक 1970 से लंबित चल रहे कई समझौते क्लियर कराए। मैं मुख्यमंत्रियों से हंसते हुए कहता था- समझौता करो, नहीं तो दरवाजा नहीं खोलूंगा। जल संसाधन मंत्री रहते, राजस्थान सहित 6 राज्यों के बीच 21,894 करोड़ की जल परियोजनाओं समझौता कराया था। रेणुकाजी बांध, लखवाड़ बहुउद्देश्यी और किशाऊ बांध परियोजना 2030 तक पूरा होगी।
सवाल- देश में कहीं सूखा पड़ता है तो कहीं बाढ़ की समस्या। केंद्र हो या राज्य सरकारें, क्या कोई स्थाई समाधान नहीं ढूंढ सकतीं।
जवाब- देखिए, देश में पानी की कमी नहीं है, लेकिन नियोजन की कमी है। जब पॉवर ग्रिड और नेशनल हाईवे ग्रिड हो सकता है तो फिर वॉटर ग्रिड क्यों नहीं। पॉवर ग्रिड होने से अधिक बिजली वाले राज्य से कम वाले को ट्रांसफर हो जाता है। इसी तरह से हाईवे ग्रिड से सभी राज्य और तीर्थस्थल जुड़ जाते हैं। हमने जल संसाधन मंत्री रहते 47 क्रांतिकारी डीपीआर बनाए थे। वाटर ग्रिड बनने से देश में बाढ़ वाले हिस्से से पानी सूखे वाला हिस्से में चला जाएगा। जिससे बाढ और सूखे की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।
सवाल- दिल्ली सहित देश के दूसरे शहरों में गर्मियों के समय में जल संकट उत्पन्न हो जाता है। इस समस्या को कैसे हल किया जा सकता है?
जवाब दिक्कत की बात है कि हमारे यहां इंडस्ट्री वाले भी फिल्टर्ड पानी का प्रयोग करते हैं। जबकि टॉयलेट, गार्डेन या इंडस्ट्री में गंदे पानी को रिसाइकिल कर यूज करना चाहिए। मैंने नागपुर में प्रोजेक्ट लगाया। आज नागपुर टायलेट का पानी बेचकर 300 करोड़ कमा रहा है। अगर सही से प्लानिंग की जाए तो पीने के पानी की समस्या खत्म हो सकती है।
सवाल- शहरों में ट्रैफिक की समस्या बढ़ रही है। समाधान क्या है?
जवाब- मल्टीलेयर ब्रिज सिस्टम। नागपुर, पूना और चेन्नई में नीचे सड़क और ऊपर से से तीन ब्रिज। एक ही पिलर पर ऊपर ब्रिज और उसके ऊपर मेट्रो ब्रिज…के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इससे तीनों प्रोजेक्ट की लागत न केवल घट जाती है कई स्तर का ट्रैफिक मैनेज हो जाता है। सीमित जगह में इस तरह के प्रयोग से अधिकतम ट्रैफिक की व्यवस्था हो सकती है। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे बनने से 73,000 वाहन दिल्ली शहर से बाहर से जाने से प्रदूषण खत्म हुआ है।
सवाल – आप इलेक्ट्रिक वाहनों पर खासा जोर दे रहे हैं। लेकिन देश में अभी चार्जिंग प्वाइंट से लेकर अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं खड़े हुए?

जवाब- जब मैं 5 साल पहले ईवी की बात करता था तो लोग मजाक करते थे कि बीच में गाड़ी बंद हो जाएगी तो क्या गडकरी जी धक्का मारेंगे…। आज दिल्ली में तीसरी-चौथी हरे नंबर प्लेट वाली गाड़ियां दिखती है । 2 साल रुक जाओ दिल्ली में ग्रीन ही ग्रीन गाड़ी दिखेगी। मैं मानता हूं कि अभी चार्जिंग प्वाइंट कम हैं। एक सर्वे के मुताबिक ज्यादातर लोग प्रतिदिन स्कूटर 25 से 30 किमी और गाड़ियां 100 किमी चलाते हैं। रात में चार्ज करने पर इतने किमी तो ईवी चल जाती है। अब अगर आप दिल्ली से मुंबई ईवी से जाएंगे तो अभी जरूर समस्या होगी। लेकिन हर महीने हाईवे के किनारे चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ रही है।
देश के बड़े-बड़े राज्य जीतने वाली भाजपा दिल्ली जैसे छोटे राज्य में हार क्यों जाती है?

जवाब- हर राज्य के अलग-अलग समीकरण हैं। दिल्ली में कई बार उम्मीदवारों पर चुनाव ज्यादा केंद्रित हो जाता है। इतने सालों तक केजरीवाल की सरकार के खिलाफ एंटी इन्कमबेंसी स्पष्ट दिख रही है। मोदी सरकार में जो कार्य हुए हैं, उसका अच्छा परिणाम दिख रहा है। इस बार भाजपा सरकार बनाने में सफल होगी।

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