नियमों के मुताबिक अगर किसी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत एनआरआइ घोषित कर दिया जाता है तो वह भारत में मौजूद अपनी आय और वित्तीय वर्ष में 10 लाख डॉलर एनआरओ खाते में भेज सकता है। सामान्य नागरिक मात्र 2.5 लाख डॉलर भेज सकता है। ऐसे में अमीर भारतीय अपने बच्चों के एनआरआइ होने का लाभ उठाते हुए विदेश में बड़ी मात्रा में रकम भेजकर निवेश कर रहे हैं। इससे भारत सरकार को भारी मात्रा में टैक्स का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
आरबीआइ ने शुरू की नियमों की समीक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक आरबीआइ ने विदेशी मुद्रा विनियमन नियमों की समीक्षा करना शुरू कर दिया है। आरबीआइ की कोशिश है कि विदेशों में अध्ययन करने वाले, पार्टटाइम काम करने वाले छात्रों और सिर्फ विदेश में धन हस्तांतरण के लिए एनआरआइ का दर्जा चाहने वाले छात्रों के बीच अंतर स्पष्ट किया जा सके। इसके बाद ऐसे मामलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए जा सकेंगे।
विदेश में ही रख सकता है धनराशि विदेशी मुद्रा विनियमन के मुताबिक एनआरआइ छात्र विदेश में भेजी गई या प्राप्त की गई धनराशि को विदेश में ही रख सकता है। ऐसे विद्यार्थी भारत वापस आ जाएं तो भी राशि विदेश में रख सकेंगे। यही कारण है कि कई अमीर भारतीय परिवार सिर्फ विदेश में निवेश के लिए अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजते हैं।