एक महीने सात दिन बाद वाहन की शुरू होगी नीलामी प्रक्रिया
दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यदि पंजीकृत वाहन के मालिक ने वाहन छुड़ाने के लिए 30 दिनों के भीतर दावा नहीं पेश किया तो वाहन मालिक को सात दिनों का अतिरिक्त समय दिया जाएगा। हालांकि इन सात दिनों के लिए वाहन मालिक से वाहन सुरक्षा शुल्क (हिरासत) दोगुना वसूला जाएगा। इसके बाद वाहन को नीलामी के लिए रखा जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि जो वाहन नो पार्किंग जोन में अवैध रूप से पार्क किए जाते हैं। ऐसे वाहनों को जब्त कर सुरक्षित जगह रखा जाता है। वाहन मालिक के दावा करने पर टोइंग शुल्क लेकर उसे छोड़ दिया जाता है। पहले 90 दिनों की अवधि तक सुरक्षित रहते थे वाहन
दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो अवैध पार्किंग से जब्त किए गए वाहनों को परिवहन विभाग 90 दिनों तक सुरक्षित रखता था, लेकिन वाहन मालिकों के दावा नहीं करने और वाहनों का ज्यादा दबाव होने के कारण यह नियम बदला गया। हालांकि अवैध पार्किंग से जब्त किए गए वाहन को छुड़ाने के लिए वाहन मालिक से सिर्फ टोइंग शुल्क वसूला जाता है। जो वाहन की श्रेणी के अनुसार 200 रुपये से लेकर 1,500 रुपये के बीच होता है। पार्किंग और प्रबंधन नियम 2019 के अनुसार जब्त किए गए वाहन के लिए अगर 90 दिनों के भीतर दावा पेश नहीं किया जाता है तो वाहन मालिक को 15 दिनों का नोटिस दिया जाता है। इसके बाद भी अगर वाहन मालिक नहीं आता है तो वाहन को सार्वजनिक नीलामी के लिए रखा जाता है।
दिल्ली में रोजाना जब्त होते हैं औसतन 50 ई-रिक्शा
परिवन विभाग के एक अधिकारी ने बताया “दिल्ली में वाहन छुड़ाने की अवधि 90 दिन होने के चलते पार्किंग में वाहनों का ज्यादा दबाव है। दिल्ली में रोजाना औसतन 50 ई-रिक्शा जब्त किए जाते हैं। इनमें से ज्यादातर ई-रिक्शा मालिक तय समय सीमा तक वाहन को छुड़ाने का दावा नहीं करते। ऐसे में वाहनों को सुरक्षित पार्किंग में रखना चुनौती बन रहा था। इसलिए परिवहन विभाग ने नियमों में बदलाव किया है। अब जब्त वाहन छुड़ाने की विंडो अविध 90 दिन से घटाकर 30 दिन कर दी गई है। हालांकि जिन वाहनों का उपयोग माल ढोने में होता है। उनके लिए सात दिनों की अतिरिक्त समय सीमा के साथ 10 दिन की अवधि निर्धारित की गई है।”
दिल्ली में तीन जगह पार्क किए जाते हैं जब्त वाहन
दिल्ली परिवहन विभाग के अधिकारियों की मानें तो सोमवार को पार्किंग और प्रबंधन नियम में बदलाव की अधिसूचना जारी कर दी गई है। इसके बाद अगर कोई तय समय सीमा के अंदर वाहन छुड़ाने का दावा पेश नहीं करता है तो वाहन को नीलामी के लिए रखा जाएगा या फिर स्क्रैपिंग इकाइयों को सौंपा जाएगा। फिलहाल दिल्ली में तीन जगह जब्त किए गए वाहन पार्क किए जाते हैं। जहां वाहनों का दबाव ज्यादा है। परिवहन विभाग द्वारा निर्धारित टोइंग शुल्क वाहनों की श्रेणी के आधार पर 200 रुपये से लेकर 15 सौ रुपये तक निर्धारित है।