खुशियों की चमक
परियों की राजकुमारी नैंसी का जन्मदिन था। पूरा परीलोक रंगबिरंगे सितारों की चमक से सजा था। फूलों की बारिश हो रही थी। चारों तरफ संगीत की मीठी धुनें सुनाई दे रही थीं, चॉकलेट और खिलौनों की कतारें सजी थीं। केक के ऊपर लगी मोमबत्तियां झिलमिला रही थीं और गुब्बारों का झुंड आसमान की तरफ उड़ रहा था । हैपी बर्थडे की आवाज के शोर से नैंसी एकदम चौंक गई। आंख मलते मलते उठी और देखा मम्मी पापा बर्थडे विश कर रहे थे। नैंसी ने परियों के देश और बर्थडे के सपने के बारे मैं मम्मी पापा को बताया।
उन्होंने वादा किया कि नैंसी उनके लिए परी से कम नहीं है । आज शाम नैंसी को मनपसंद कपड़े और खिलौने दिलवाएंगे और बाहर सब मिलकर खाना भी खाएंगे। अब जल्दी से तैयार हो जाओ स्कूल के लिए लेट हो जाओगी मां ने कहा। आज सहेलियों और टीचर्स को चॉकलेट बांटूगी, नैंसी बोली और खुशी खुशी तैयार हो गई । मां ने अपने पास जमा पैसे में से दो सौ के नोट निकाल कर नैंसी के हाथ में थमा दिए और वो बाय बाय करके पापा के साथ स्कूल चल दी। स्कूल के रास्ते मैं कुछ झोपडिय़ां और कच्चा रास्ता आता था। फटे पुराने मैले कुचैले कपड़े पहने कु छ बच्चे बाहर खेल रहे थे। कुछ बच्चे होटल के बाहर फैले कचरे में से कुछ खोज रहे थे। ये क्या कर रहे हैं पापा इनके पापा मम्मी कहां हैं? नैंसी ने पूछा।
बेटा ये मजदूरों के बच्चे हैं, बच्चों को भूख लगी होगी इसलिए कचरे में से कुछ खाने के लिए ढूंढ रहे हैं शायद, पापा ने कहा। लेकिन इससे तो ये बीमार हो जाएंगे पापा, क्या ये स्कूल नहीं जाते? नैंसी ने आश्चर्य से पूछा। गरीबी के आगे किसी की नहीं चलती बेटा, पापा ने बताया। नैंसी को बच्चों की हालत पर बहुत तरस आया। उसने निश्चय किया कि अब वो अपने बर्थडे पर नए कपड़े, खिलौने नहीं खरीदेगी। उसने पापा से कहा कि वो आज से अपने जन्मदिन पर इन सब बच्चों को खाना खिलाकर, कपड़े और खिलौने बांटकर मनाएगी। पापा यह बात सुनकर बहुत खुश हुए। नैंसी ने अपनी सभी फ्रेंड्स के साथ मिलकर उन गरीब बच्चों को खाना खिलाया और कपड़े दिए। सभी बच्चों के चेहरे पर खुशी देखकर नैंसी को बहुत अच्छा लगा। नैंसी को सचमुच लग रहा था कि वो परीलोक की राजकुमारी है और खुशी के कारण मानो वह आसमान में जैसे उड़ रही हो।
–कृतन सिंघल, उम्र-10वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………. जादुई परियों का रहस्यमयी महल
बहुत समय पहले की बात है, एक सुंदर राज्य था, जहां एक रहस्यमयी महल आसमान में तैरता था। इस महल के बारे में कहा जाता था कि वहां जादू की परियां रहती हैं, लेकिन वहां तक केवल वही पहुंच सकता था जो सच्चे दिल का हो और जादू में विश्वास करता हो। राजकुमारी अनाया हमेशा से इस जादुई दुनिया को देखने की इच्छुक थी। एक दिन जब वह हरे-भरे जंगल में घूम रही थी, अचानक उसे चमकती हुई रोशनी दिखाई दी।
वह कोई और नहीं बल्कि परी रूहानी थी! उसके सुनहरे पंख सूरज की किरणों की तरह चमक रहे थे। परी ने मुस्कुराते हुए कहा, अगर तुम अपने राज्य को बचाने के लिए तैयार हो, तो मेरे साथ चलो। राज्य पर एक बुरी शक्ति का साया मंडरा रहा था, जो धीरे-धीरे सब कुछ नष्ट कर रहा था। इस संकट से मुक्ति पाने का एक ही तरीका था – जादुई महल में छिपे अनमोल मोती को ढूंढना। परी रूहानी के साथ अनाया ने एक रोमांचक सफर शुरू किया। रास्ते में उन्हें जादुई जीवों से भरा जंगल पार करना पड़ा। वहां कई परीक्षाएं थीं, जहां अनाया को अपनी बुद्धिमत्ता और साहस का परिचय देना पड़ा। उसने सही उत्तर देकर जादुई द्वार खोले और महल तक पहुंची। महल के अंदर मोती को एक काले जादू ने अपने जाल में कैद कर रखा था। परी रूहानी ने अपनी छड़ी घुमाई, लेकिन मोती को मुक्त करने के लिए केवल जादू पर्याप्त नहीं था।
इसे छुड़ाने के लिए किसी को सच्चे साहस और प्रेम की शक्ति दिखानी थी। अनाया ने अपनी इच्छाशक्ति और दयालुता से मोती को छुआ और अचानक उसकी रोशनी पूरे महल में फैल गई । अंधकार समाप्त हो गया और राज्य फिर से खुशियों से भर गया। राजकुमारी अनाया अपने राज्य में लौटी, जहां लोगों ने खुशी से उसका स्वागत किया। परी रूहानी ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा, तुम्हारे साहस और सच्चे दिल ने यह चमत्कार किया है। याद रखना सच्चे दिल वाले हमेशा जीतते हैं! इस घटना के बाद अनाया और भी बुद्धिमान और दयालु बन गई। उसने अपने राज्य को पहले से भी अधिक समृद्ध बनाया। यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची हिम्मत और विश्वास से हर मुश्किल को जीता जा सकता है और अच्छे कर्मों की हमेशा जीत होती है।
–अंबर नामदेव, उम्र-12वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………. रहस्य भरी बावड़ी और परी
एक समय की बात है। एक छोटे से गांव में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम अदिति था। अदिति बहुत प्यारी और समझदार थी, लेकिन उसकी एक खासियत थी-वह किसी से भी डरती नहीं थी। गांव के बाकी बच्चों की तरह उसे भी रात को डर के मारे नींद नहीं आती थी, क्योंकि गांव में एक पुरानी बड़ी सी बावड़ी थी, जिसके बारे में कहते थे कि उसमें एक भूत रहता है। एक रात जब सभी बच्चे डर-डर कर सोने गए थे, अदिति अपनी जिद पर अड़ी रही।
वह सोचने लगी, क्यों न मैं खुद ही देखूं कि ये बावड़ी सचमुच डरावनी है या बस कोई बेतुकी कहानी है? फिर चुपचाप वह घर से बाहर निकल आई और उस बावड़ी की ओर चल पड़ी। जैसे-जैसे वह बावड़ी के पास पहुंची, उसकी धड़कनें तेज होने लगीं, लेकिन वह डर को अपनी हिम्मत बना कर आगे बढ़ती रही। जब वह बावड़ी के अंदर पहुंची, तो उसने देखा कि वह इतनी भी डरावनी नहीं थी, जितनी गांववाले कहते थे। वहां तो एक पुरानी सी झील थी, जिसमें चांदनी रात में अजीब-सी रोशनी पड़ती थी। अचानक झील से एक सफेद सी रोशनी उठी और अदिति ने देखा कि वह कोई साधारण रोशनी नहीं थी, बल्कि एक परी की चमक थी।
वह परी मुस्कु राते हुए अदिति के पास आई और बोली, तुमने साहस दिखाया है और यही साहस तुम्हें हमेशा आगे बढऩे की शक्ति देगा। परी ने अदिति को अपनी जादुई शक्ति का एक छोटा सा हिस्सा दिया, जो उसे कभी भी किसी भी मुश्किल घड़ी में मदद कर सकता था। अदिति ने परी से धन्यवाद कहा और फिर वह घर लौट आई। गांव के बच्चों ने जब उसकी कहानी सुनी, तो वे भी डर के बजाय साहसी होने लगे। अदिति की तरह वे भी कभी न कभी अपनी डर की बाधाओं को पार करने की कोशिश करते। इस तरह से अदिति ने ना केवल अपनी बल्कि पूरे गांव की जिंदगी में बदलाव ला दिया और सबको सिखाया कि डर केवल एक भ्रम है और साहस से उसे हराया जा सकता है।
–पवन प्रजापत जोरावरपुरा, उम्र-13वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………. एलीरा और जादुई पंखों का रहस्य
बहुत समय पहले की बात है। एलीरा नाम की एक सुंदर राजकुमारी एक हरे रंग की चमचमाती पोशाक में अपने महल के बगीचे में टहल रही थी। अचानक आकाश से एक सुनहरी रोशनी उसकी ओर बढ़ी। यह रोशनी एक परी थी, जिसका नाम था जाफीरा। जाफीरा के पंख सूरज की किरणों जैसे चमक रहे थे।
जाफीरा ने एलीरा को बताया कि उसकी दुनिया पर एक अंधेरे का साया मंडरा रहा है। जादुई गोल्डन ऑर्ब जो परियों की शक्ति का स्रोत था, चोरी हो गया। एलीरा ने हिम्मत दिखाई और जाफीरा के साथ इस रहस्यमय यात्रा पर निकल पड़ी। दोनों ने खतरनाक जंगल और जादुई गुफाओं का सामना किया, रहस्यमयी प्राणी और पहेलियां सुलझाईं। आखिरकार, उन्होंने ऑर्ब को एक दुष्ट जादूगर से छीन लिया। इस साहसिक यात्रा ने एलीरा को सिखाया कि सच्ची शक्ति हृदय की बहादुरी में होती है।
–लावण्या सिंह, उम्र-11वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………. राजकुमारी एलिना और जादुई उड़ान
एक बार की बात है राजकुमारी एलिना अपने महल के बगीचे में नाच रही थी। उसकी हरी-नीली पोशाक हवा में लहरा रही थी। महल के पास एक जादुई जंगल था, जहां परियों का निवास था। उसी जंगल में परी रोजा रहती थी। उसके सुनहरे पंख चमकते थे और वह बहुत दयालु थी। जब उसने एलिना को नाचते देखा, तो मुस्कुराते हुए उसके पास आई और कहा, राजकुमारी तुम्हारा नृत्य बहुत सुंदर है! एलिना ने परी को देखा और आश्चर्य से भर गई।
ओह तुम कितनी सुंदर हो! क्या तुम सच में उड़ सकती हो? रोजा हंस पड़ी और आसमान में ऊंचा उड़ गई। हां और अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें भी उडऩे का जादू दे सकती हूं । एलिना बहुत खुश हुई। परी ने अपने पंखों से जादुई धूल उड़ाई और कुछ ही पल में एलिना भी हवा में ऊपर उठने लगी। अब दोनों महल के ऊपर जंगल के पार उड़ रही थीं। एलिना ने कभी नहीं सोचा था कि वह उड़ सकेगी। उस दिन से वे अच्छी दोस्त बन गईं। जब भी एलिना उदास होती रोजा उसके पास आती और उसका दुख बांटती।
–भाविका माहवर, उम्र-10वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………. राजकुमारी और जादुई परी
एक समय की बात है, एक राज्य में राजकुमारी अन्विका रहती थी। वह बहुत दयालु और बुद्धिमान थी, लेकिन उसका मन हमेशा किसी अनदेखी दुनिया को जानने के लिए उत्सुक रहता था। एक दिन, वह महल के बगीचे में टहल रही थी कि अचानक आकाश से सुनहरी रोशनी उतरी। वह एक परी थी, जिसका नाम तारा था। तारा ने कहा, राजकुमारी अन्विका, मैं तुम्हें एक जादुई महल की सैर पर ले चलूंगी। वहां पर सपनों की दुनिया बसी हुई है!
राजकुमारी खुशी से झूम उठी और तारा के साथ उड़ चली। जैसे ही वे जादुई महल पहुंचे, अन्विका ने देखा कि वह महल हवा में तैर रहा था और वहां हर चीज चमक रही थी। वह महल एक रहस्य से भरा था। वहां के फूल बातें करते थे, पक्षी गीत गाकर कहानियां सुनाते थे और झील में चांदी की मछलियां तैर रही थीं। लेकिन अचानक, महल हिलने लगा! तारा ने बताया कि यह महल केवल सच्चे और दयालु हृदय वाले लोगों के लिए स्थिर रहता है। अन्विका ने अपनी अच्छाई और समझदारी से एक पहेली हल की, जिससे महल शांत हो गया। महल के राजा ने उसे आशीर्वाद दिया और एक जादुई हार भेंट किया, जिससे वह अपने राज्य में खुशियां फैला सके। राजकुमारी वापस लौटी और अपने राज्य में ज्ञान और दया का प्रकाश फैलाया।
–काव्या शर्मा, उम्र-11वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………. असली सुंदरता
बहुत समय पहले की बात है। एक सुंदर राजकुमारी थी, जिसका नाम मीरा था। वह अपनी हरी पोशाक में बहुत सुंदर दिखती थी, लेकिन उसे अपने रूप पर बहुत घमंड था। वह हमेशा आईने में खुद को निहारती और सोचती कि वह सबसे सुंदर है। एक दिन जब मीरा बगीचे में घूम रही थी, अचानक आसमान से एक परी उतरी। परी के सुनहरे पंख थे और वह लाल पोशाक में चमक रही थी। परी ने कहा, राजकुमारी, असली सुंदरता चेहरे से नहीं, बल्कि दिल से होती है। मीरा हंसने लगी, मैं तो पहले से ही सबसे सुंदर हूं! मुझे तुम्हारी बातें सुनने की जरूरत नहीं।
परी मुस्कुराई और जादू से एक आईना बना दिया। मीरा जब उसमें देखने लगी, तो चौंक गई! आईने में उसकी तस्वीर वैसी नहीं थी जैसी वह सोचती थी। उसमें वह घमंडी और गुस्से वाली लग रही थी। मीरा डर गई और बोली, मैं ऐसी क्यों दिख रही हूं? परी ने कहा, अगर तुम दूसरों की मदद करोगी और विनम्र बनोगी, तो तुम्हारी असली सुंदरता लौट आएगी। मीरा ने परी की बात मानी और अपने व्यवहार को बदल दिया। अब वह सबकी मदद करती, सबके साथ प्यार से पेश आती। धीरे-धीरे वह सच में सबसे सुंदर बन गई-बाहर से भी और अंदर से भी। शिक्षा यह मिलती है कि असली सुंदरता चेहरे से नहीं, बल्कि अच्छे मन और व्यवहार से होती है।
-पर्णवी अग्रवाल, उम्र- 9 साल
……………………………………………………………………………………………………………. जीत का शस्त्र आत्मविश्वास
एक समय की बात है, एक दूरस्थ राज्य में राजकुमारी नंदनी रहती थी। वह बहुत ही कमजोर और बीमार रहती थी। उसकी सेहत तो खराब थी ही, साथ ही पढ़ाई में भी वह कमजोर थी। उसके माता-पिता बहुत चिंतित रहते थे। एक दिन परी आराध्या ने राजकुमारी की हालत देखी और उसे मदद करने का फैसला किया।
आराध्या ने नंदनी से कहा, तुम्हारी कमजोरी और पढ़ाई में पिछडऩे का कारण आत्मविश्वास की कमी है। तुम्हें अपने अंदर की शक्ति को पहचानना होगा। आराध्या ने नंदनी को एक जादुई पेंडेंट दिया और कहा कि यह तुम्हें हर क्षेत्र में मजबूत बनाएगा, लेकिन इसका असर तभी होगा जब तुम खुद पर विश्वास करोगी। नंदनी ने आराध्या की बात मानी और रोजाना व्यायाम करना शुरू किया। उसने पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू किया और धीरे-धीरे उसका आत्मविश्वास बढऩे लगा। कुछ ही दिनों में नंदनी की सेहत में सुधार आ गया और वह पढ़ाई में भी अव्वल हो गई। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमारी कमजोरियां हमें तभी हरा सकती हैं जब तक हम खुद पर विश्वास नहीं करते। आत्मविश्वास और मेहनत से हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।
–आराध्या गुप्ता,उम्र-10वर्ष
……………………………………………………………………………………………………………. परियों की अनोखी दुनिया
एक समय की बात है, परीलोक में एक सुंदर महल था, जहां परियां रहती थीं। उनमें से एक थी सृष्टि, जो बहुत दयालु और हंसमुख थी। दूसरी थी वैभवी, जिसके सुनहरे पंख थे और जो हवा में उड़ सकती थी। एक दिन सृष्टि को जमीन पर एक उदास राजकुमारी मिली। वह हरे रंग की सुंदर पोशाक पहने थी लेकिन उसके चेहरे पर चिंता के बादल थे।
सृष्टि ने उससे पूछा, क्या हुआ राजकुमारी? राजकुमारी ने बताया कि एक दुष्ट जादूगर ने उसके राज्य को अभिशाप दे दिया है, जिससे वहां खुशियां समाप्त हो गई हैं। यह सुनकर वैभवी भी वहां आ गई और दोनों परियों ने मिलकर जादूगर से लडऩे की योजना बनाई। वे परी महल से एक जादुई मंत्र लेकर आईं और जैसे ही उन्होंने मंत्र पढ़ा, जादूगर की शक्ति खत्म हो गई। राजकु मारी का राज्य फिर से खुशहाल हो गया और सभी ने मिलकर उत्सव मनाया। सृष्टि और वैभवी को उनके साहस के लिए परी लोक की रानी ने पुरस्कृत किया और तब से दोनों परियां हमेशा जरूरतमंदों की मदद करने लगीं।
–पंखुड़ी बबरीवाल, उम्र-10वर्ष
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राजकुमारी मिली की दुनिया
एक समय की बात है। एक महल में सुंदर राजकुमारी मिली रहती थी। वह बहुत समझदार और ईमानदार थी। एक दिन वह महल के बगीचे में घूमने गई, जहां रंग-बिरंगे फूल खिले थे। घूमते-घूमते उसे एक चमकती हुई अंगूठी मिली। जैसे ही उसने उसे उठाया, एक गंदी परी आ गई और बोली, तुमने मेरी अंगूठी चुराई?
अब मैं तुम्हें मेंढक बना दूंगी। मिली डर गई और बोली, नहीं! मैंने कुछ नहीं चुराया, ये यहां पड़ी थी। लेकिन गंदी परी नहीं मानी और जादू करने लगी। मिली ने मन ही मन अच्छी परी को याद किया, क्योंकि वह हमेशा ईमानदार लोगों की मदद करती थी। अच्छी परी तुरंत वहां आ गई और गंदी परी से बोली, रुक जाओ! नहीं तो मैं तुम्हें चूहा बना दूंगी! गंदी परी डरकर भाग गई। मिली ने राहत की सांस ली और अच्छी परी को धन्यवाद दिया। अचानक उसकी नींद खुल गई और उसे एहसास हुआ कि ये सब सपना था।
–मिश्का गहलोत, उम्र-7 वर्ष