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भारतीय संस्कृति का महाकुंभ है ताज महोत्सव

यह महोत्सव केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव नहीं है बल्कि यह भारत की विविधता, ऐतिहासिक विरासत और आधुनिकता का संगम भी प्रस्तुत करता है। इस महोत्सव की शुरुआत 1992 में हुई थी और तभी से यह प्रतिवर्ष फरवरी में आयोजित किया जाता है।

जयपुरFeb 18, 2025 / 01:50 pm

Neeru Yadav

योगेश कुमार गोयल

भारतीय सांस्कृतिक विरासत, कला, संगीत, नृत्य और खानपान का एक भव्य उत्सव है ‘ताज महोत्सव’, जो हर साल उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा आगरा के शिल्पग्राम में आयोजित किया जाता है। इस वर्ष 18 फरवरी से 2 मार्च तक आयोजित होने वाले ताज महोत्सव का मुख्य विषय ‘धरोहर’ रखा गया है। इस थीम के माध्यम से भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करने का प्रयास किया जा रहा है। यह महोत्सव केवल भारत की सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव नहीं है बल्कि यह भारत की विविधता, ऐतिहासिक विरासत और आधुनिकता का संगम भी प्रस्तुत करता है। इस महोत्सव की शुरुआत 1992 में हुई थी और तभी से यह प्रतिवर्ष फरवरी में आयोजित किया जाता है। इस बार की थीम में ‘सिंफनी ऑफ साउंड्स’, ‘डिजिटल देशी’ और ‘कलर्स ऑफ इंडिया’ जैसे विषयों को शामिल किया गया है, जो आधुनिकता और परंपरा के बीच संतुलन को दर्शाते हैं। ताज महोत्सव के आयोजन का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर भारतीय कला और संस्कृति की छटा बिखेरना और विश्वप्रसिद्ध ऐतिहासिक धरोहर ताजमहल देखने आने के लिए देशी-विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करना है। इस वर्ष ताज महोत्सव का 32वां संस्करण है और ताज महोत्सव की 34वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है। भारतीय परंपराओं और लोक जीवन की झलक प्रस्तुत करता यह महोत्सव दुनिया भर से पर्यटकों को आकर्षित करता है।
इस महोत्सव का एक प्रमुख उद्देश्य भारतीय हस्तकला, लोक कलाओं, संगीत, नृत्य और खानपान को बढ़ावा देना भी है। यह महोत्सव न केवल एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण है बल्कि कलाकारों और शिल्पकारों के लिए भी एक ऐसा महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जहां वे अपनी कला और कौशल का प्रदर्शन कर सकते हैं। इसके जरिये कारीगरों को अपनी कला को नए बाजारों तक पहुंचाने का अवसर मिलता है। भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करता ताज महोत्सव भारत के सबसे प्रतिष्ठित सांस्कृतिक उत्सवों में से एक है। यह उत्सव भारत की समृद्ध कला, संस्कृति और विरासत का उत्सव है, जो न केवल आगरा और उत्तर प्रदेश के पर्यटन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हुए रोजगार के अवसर भी पैदा करता है। यह न केवल स्थानीय कारीगरों और व्यवसायियों को रोजगार प्रदान करता है बल्कि इससे आगरा का पर्यटन भी बढ़ता है। होटल, रेस्तरां, टूर गाइड और स्थानीय परिवहन सेवाओं को भी इससे लाभ होता है। यह महोत्सव कलाकारों के लिए अपनी कला के प्रदर्शन के लिए एक आदर्श मंच है, जहां उनकी प्रतिभा को वैश्विक दर्शकों तक पहुंचने का अवसर मिलता है।
ताज महोत्सव एक ऐसा मंच है, जहां विभिन्न संस्कृतियों का आपसी मेल-जोल देखने को मिलता है। भारत में लजीज भारतीय व्यंजनों के बिना कोई भी उत्सव अधूरा रहता है। ताज महोत्सव में विभिन्न राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद चखने का मौका मिलता है। महोत्सव में लगभग सभी राज्यों के पारंपरिक व्यंजनों के स्टॉल लगाए जाते हैं। इस वर्ष आगरा के प्रसिद्ध पेठे, दिल्ली के छोले भठूरे, राजस्थान का दाल-बाटी-चूरमा, पंजाब के परांठे, बंगाल की मिष्टी दोई, दक्षिण भारतीय डोसा-सांभर और कई अन्य क्षेत्रीय व्यंजन पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होंगे। यहां आने वाले लोग इन व्यंजनों का स्वाद चखने के साथ-साथ भारतीय खानपान की विविधता को भी समझ सकेंगे। यह महोत्सव भारत के विभिन्न राज्यों से आई कारीगरी और विशेष व्यंजनों को एक ही मंच पर लाने का कार्य करता है, जिससे पर्यटक पूरे भारत की संस्कृति और खानपान को करीब से अनुभव कर सकते हैं।
ताजमहल के पूर्वी द्वार के पास शिल्पग्राम में आयोजित होने वाले ताज महोत्सव का मुख्य आकर्षण ताजमहल की पृष्ठभूमि में भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य का समागम होता है। इस वर्ष भी ताज महोत्सव में कथक, भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, ओडिसी तथा अन्य शास्त्रीय नृत्यों के प्रदर्शन होंगे, जिनमें देश के प्रसिद्ध कलाकार हिस्सा लेंगे। इनके अलावा भांगड़ा, गिद्धा, कालबेलिया, गरबा जैसे लोक नृत्य भी महोत्सव में अपनी रंगीन छटा बिखेरेंगे। महोत्सव में बनारस की रेशमी साड़ियां, मध्य प्रदेश की चंदेरी और महेश्वरी साड़ियां, कश्मीर की पश्मीना शॉल, लखनऊ की चिकनकारी, सहारनपुर की लकड़ी के खिलौने तथा नक्काशी की हुई वस्तुएं, खुर्जा के मिट्टी के बर्तन, राजस्थान की ब्लॉक प्रिंटिंग, पश्चिम बंगाल की कांथा कढ़ाई, दक्षिण भारत की कांसे की मूर्तियां तथा कई अन्य राज्यों की प्रसिद्ध कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी। ताज महोत्सव खासकर विदेशी पर्यटकों के लिए एक ऐसा यादगार अनुभव होता है, जहां वे भारत की सांस्कृतिक विविधता को एक ही स्थान पर अनुभव कर सकें। विदेशी पर्यटक भारतीय परिधानों, शिल्प और व्यंजनों को न केवल देखते हैं बल्कि उनमें गहरी रुचि भी लेते हैं।
ताज महोत्सव में इस बार तकनीकी नवाचार और पर्यावरण संरक्षण जैसी कई नई चीजें जोड़ी जा रही हैं। डिजिटल तकनीक का उपयोग कर भारतीय सांस्कृतिक विरासत की झलक देने के लिए वर्चुअल रियलिटी और ऑगमेंटेड रियलिटी के माध्यम से ताजमहल के ऐतिहासिक महत्व को प्रस्तुत किया जाएगा। इसके अलावा इस बार महोत्सव में एक ‘ग्रीन जोन’ भी बनाया जा रहा है, जहां पर्यावरण संरक्षण से जुड़े स्टॉल और कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। यह महोत्सव केवल कला, संगीत और खानपान का ही उत्सव नहीं है बल्कि यह एक ऐसी सांस्कृतिक यात्रा है, जहां पर्यटक भारतीय परंपराओं और आधुनिकता के संगम को देख सकते हैं। यह आयोजन विभिन्न क्षेत्रों के कारीगरों को प्रोत्साहित करता है और उनकी कलाओं को वैश्विक मंच प्रदान करता है। इस महोत्सव में कई तरह की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं, जिनमें नृत्य प्रतियोगिता, गायन प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता और फोटोग्राफी प्रतियोगिता शामिल होती हैं। ये प्रतियोगिताएं न केवल स्थानीय प्रतिभाओं को मंच प्रदान करती हैं बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी कला में निपुण होने के लिए भी प्रेरित करती हैं।
ड्रोन शो, विंटेज कार रैली, हॉट एयर बैलून शो और पतंग महोत्सव का आयोजन भी इस बार ताज महोत्सव में चार चांद लगाएंगे। ताज महोत्सव में पहली बार ‘बर्ड फेस्टिवल’ का भी आयोजन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के अनुसार, इस वर्ष ताज महोत्सव का आयोजन पहले से कहीं ज्यादा भव्य और विराट होगा। महोत्सव को और भव्य बनाने के लिए इस वर्ष विशेष सजावट और रोशनी की व्यवस्था की गई है। बहरहाल, ताज महोत्सव भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का ऐसा शानदार उत्सव है, जो विभिन्न संस्कृतियों को एक मंच पर लाने का अनूठा कार्य करता है। यह महोत्सव भारतीय कला और संस्कृति को संरक्षित करने का एक प्रशंसनीय प्रयास है। ताज महोत्सव न केवल भारतीय परंपराओं का उत्सव है बल्कि यह आधुनिकता का भी प्रतीक है। इस महोत्सव का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व इसे भारत के प्रमुख उत्सवों में शामिल करता है। ताज महोत्सव वास्तव में भारत की विविध संस्कृतियों का अद्भुत संगम है, जिसकी ख्याति अब विश्व के कोने-कोने तक फैल चुकी है और यह अब समूची भारतीय संस्कृति का विराट महोत्सव बन गया है।

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