बालकों का समग्र विकास तभी संभव है जब उन्हें घर में एक उचित माहौल मिले और अपने माता पिता के साथ समय बिताने का मौका मिले एवं नानी-दादी की कहानियां और अनुभव भी बच्चों के मानसिक विकास में वृद्धि करते हैं। शारीरिक खेलकूद से बच्चों में नेतृत्व क्षमता विकसित होती है। – शुभम वैष्णव, सवाईमाधोपुर
बच्चों को प्रतिदिन सोने-उठने, खाने-पीने व अध्ययन की दिनचर्या को नियमित व व्यवस्थित बनाए रखना चाहिए। हर कार्य में समय का विशेष महत्त्व देना चाहिए। खेलकूद व सामाजिक गतिविधियों के प्रति जागरूक रहना चाहिए। शारीरिक व मानसिक स्वस्थता के लिए व्यायाम व मनोरंजन के लिए समय देना चाहिए। प्रिंट व दृश्य मीडिया की समसामयिक खबरों से अवगत होना चाहिए। परिवार पड़ोस व समाज में बड़ों का सम्मान करना चाहिए एवं अनुशासन और मर्यादा में रहना चाहिए। -आलोक ब्यौहार सिहोरा (म.प्र.)
बच्चों के समग्र विकास के लिए बच्चों में बचपन से ही संस्कार के साथ शिक्षा, खेलने की पर्याप्त जगह पारिवारिक वातावरण योग करने की आदत और मोबाइल से दूर होना चाहिए। – सुदेश जैन
बच्चों के मात्र अंक ही नहीं, उनका कौशल, व्यावहारिक ज्ञान, ग्रहण करने की क्षमता व संस्कार समग्र विकास के लिए जरूरी हैं, जो परिवार व गुरु से ही प्राप्त हो सकते हैं। – सरोज जैन, खंडवा मप्र