कार्य-जीवन असंतुलन उत्पादकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इससे रचनात्मकता, कार्य के प्रति उसकी रुचि और टीमवर्क जैसे पक्ष नकारात्मक रूप से प्रभावित होते हैं। इसके साथ ही, स्वयं उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। इसके लिए सबसे ज़रूरी है कार्य के प्रति रुचि पैदा करना या हो सके तो उसको रिप्लेस करना, इससे अन्य पक्षों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। – दामोदर शर्मा, लूणकरणसर
दफ्तर के कर्मचारी का जीवन अगर संतुलित नहीं है तो वह दफ्तर में बहुत ही उदास और चिड़चिड़ा रहने लगता हैं जिसकी वजह से उसका काम में भी मन नहीं लगता और प्रोग्रेस रिपोर्ट में गिरावट आती है। – प्रियव्रत चारण, जोधपुर
वर्तमान समय में उपभोक्तावादी संस्कृति का चरम स्तर और खानपान में आए बदलाव के कारण निजी और व्यावसायिक जीवन में असंतुलन पैदा होता है। आज नियमित व्यायाम एवम ध्यान से उपरोक्त जीवन में संतुलन पैदा किया जा सकता है। -विनायक गोयल, रतलाम (मप्र)
आजकल की तेज गति वाली दुनिया में कार्य जीवन संतुलन बनाए रखना एक चुनौती बन गया है। बहुत से लोग अपने काम में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वे अपने निजी जीवन के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं। इस असंतुलन का उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। जब लोग अपने काम और निजी जीवन के बीच संतुलन नहीं बना पाते हैं, तो वे तनाव और चिंता का अनुभव करते हैं। जब लोग तनावग्रस्त और थके हुए होते हैं, तो वे कम उत्पादक होते हैं। वे गलतियां करते हैं और काम समय सीमा में पूरा करने में असमर्थ होते हैं। लंबे समय तक कार्य-जीवन असंतुलन से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि हृदय रोग, मधुमेह और अवसाद इत्यादि। कार्य जीवन संतुलन बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है। इससे न केवल उत्पादकता में सुधार होगा, बल्कि स्वास्थ्य और खुशी में भी सुधार होगा। – कमल कुमार मेहता, उदयपुर
कार्य जीवन असंतुलन होने की दशा में कर्मचारी थका हुआ एवं उदास महसूस करता है, जिससे नौकरी में संतुष्टि कम हो जाती है। कर्मचारी अधिक समय कार्यक्षेत्र में अनुपस्थित रहता है। इससे सर्वाधिक उत्पादकता पर असर पड़ता है। – अजीत सिंह सिसोदिया, खारा बीकानेर
कार्य करना ही सिर्फ मायने नहीं रखता है कार्य का सही या उचित होना भी जरूरी है। उसमें फोकस होना चाहिए तभी वह फलदायी भी होगा। असंतुलन के कारण कार्य में एकाग्रता की कमी होगी, जो उस कार्य को सफलता पाने में रुकावट पैदा करेगा। – सरिता प्रसाद, पटना