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सम्पादकीय : कोरी ‘लक्ष्मण रेखा’ से ही नहीं होगा तंबाकू निषेध

शिक्षण संस्थानों के साथ उससे जुड़े संस्थान जैसे हॉस्टल, कोचिंग व लाइब्रेरी आदि की 100 गज की परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री रोकने के लिए अब और सख्ती की जाएगी। विश्व तंबाकू निषेध दिवस यानी ३१ मई से छेड़े जाने वाले अभियान को लेकर भारत सरकार की ओर से जो गाइलाइन प्रशासन और स्कूलों […]

जयपुरMay 27, 2025 / 08:16 pm

pankaj shrivastava

शिक्षण संस्थानों के साथ उससे जुड़े संस्थान जैसे हॉस्टल, कोचिंग व लाइब्रेरी आदि की 100 गज की परिधि में तंबाकू उत्पादों की बिक्री रोकने के लिए अब और सख्ती की जाएगी। विश्व तंबाकू निषेध दिवस यानी ३१ मई से छेड़े जाने वाले अभियान को लेकर भारत सरकार की ओर से जो गाइलाइन प्रशासन और स्कूलों के पास पहुंची है जिसमें एक बिंदु अहम है। गाइड लाइन में कहा गया है कि ऐसी संस्थाओं के 100 गज के दायरे में एक पीली रेखा खींची जाए। साथ ही इसके अंदर यदि कोई तंबाकू उत्पाद बेचने को लेकर संदिग्ध दुकान आ रही है तो उस पर कार्रवाई की जाए। एक तरह से यह ‘लक्ष्मण रेखा’ होगी।
इस तरह से रेखाएं खींचना ये जानने का तरीका तो हो सकता है कि शैक्षणिक संस्था के आसपास का संबंधित हिस्सा तंबाकू मुक्त है या नहीं। पर इससे तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सकेगी इस पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यह बात सही है कि ऐसे उत्पादों को शैक्षणिक संस्थाओं से दूर रखना ही चाहिए लेकिन बड़ी जरूरत इस बात की है कि युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखने के प्रयास किए जाएं। मामूली जुर्माना प्रावधान से क्या तंबाकू की बिक्री शिक्षण संस्थाओं की तय परिधि में रोकी जा सकती है? क्योंकि तंबाकू उत्पाद अधिनियम 2003 में तो महज २०० रुपए के जुर्माना का प्रावधान है। सजा सख्त नहीं होंगी तो कितने ही अभियान चलाए जाएं इन्हें रोकना मुश्किल काम है। ऐसी रेखा खींचने से तो एक तरह से निर्धारित दूरी से थोड़ी ही दूरी पर तंबाकू बिक्री और आसान हो जाएगी। जबकि प्रयास इस बात के होने चाहिए कि किशोर वय में ही बच्चों को तंबाकू सेवन से कैसे रोका जाए? होना तो यह चााहिए कि 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी बच्चे या किशोर को यदि कोई तंबाकू उत्पाद बेचते पाया जाए तो उसे सीधे जेल भेजा जाए। जुर्माना जैसी कार्रवाई में राशि भी ज्यादा ही होनी चाहिए। उन लोगों पर भी सख्ती होनी चाहिए जो बच्चों से तंबाकू उत्पाद मंगवाते हैं। ऐसी सामग्री का प्रचार करने वाले संचार माध्यमों व सिने कलाकारों को भी पाबंद करना होगा। सोशल मीडिया पर नशे को महिमा मंडित कर रहे चैनलों पर रोक लगानी होगी। ऐसी फिल्में और ओटीटी सीरीज पर रोक लगानी होगी जिनमें युवाओं को नशे में दिखाया जाता है। मोटे तौर पर यह कहा जा सकता है कि सिर्फ जमीनी लक्ष्मण रेखाएं ही नशे के रावण को रोक नहीं सकती हैं। इसके लिए संबंधित विभागों और कानून के तरकश में ऐसे बाण होना चाहिए जिनका भय आरोपी के मन में समा जाए। देश के किसी भी हिस्से में चले जाएं आज तो शिक्षण संस्थाओं के आसपास तंबाकू उत्पादों की बिक्री प्रशासन की नाक के नीचे होते दिख जाएगी। तंबाकू बेचने वाले भी और इसका इस्तेमाल करने वाले भी, नियम- कायदों को धता बताने से कोई नहीं चूक रहा। हकीकत तो यह है कि लक्ष्मण रेखा से कोई दायरा तो तय हो सकता है लेकिन सख्ती कानून के कठोर प्रावधानों से ही हो सकती है।

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