प्राचीन ज्ञान में निहित परंपराओं, नैतिकता और सिद्धांतों की समृद्ध विरासत भारतीय मूल्यों में शामिल है। इन मूल्यों के केंद्र में पारिवारिक सामंजस्य की अवधारणा है, जो कर्तव्य, धार्मिकता, नैतिक व्यवस्था, बड़ों के प्रति सम्मान और आतिथ्य पर जोर देती है। ज्ञान की खोज, जैसा कि शिक्षा और विद्वानों के प्रति श्रद्धा द्वारा दर्शाया गया है, एक और हमारी पहचान है। हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ, ये भारतीय मूल्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, चीन, दक्षिण पूर्व एशियाई और सुदूर पूर्व एशियाई देशों में फैल गए। आज पश्चिमी जगत में भी भारतीय पारिवारिक मूल्यों का सम्मान किया जाता है। इंद्रा नूई एक भारतीय मूल की अमरीकी बिजनेस कार्यकारी हैं, जो 2006 से 2018 तक पेप्सिको की अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी अधिकारी थीं। उन्हें दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं में स्थान दिया गया था। 2015 और 2017 में उन्हें फॉच्र्यून सूची में दूसरी सबसे शक्तिशाली महिला का दर्जा दिया गया था। इंद्रा अपनी शानदार सफलता का श्रेय गर्व से अपने परिवार को देती हैं। इंद्रा की मां एक गृहिणी थीं। स्वयं औपचारिक शिक्षा न होने के बावजूद, उनकी मां ने अपनी बेटियों के लिए रात्रि भोज में रणनीतिक खेल तैयार किए थे। जैसे जब इंद्रा और उनकी बहन 8 व 11 साल की थीं, तो उनकी मां ने उन्हें लिखने के लिए कहा कि अगर वे राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे शक्तिशाली पद पर हों तो वे क्या करेंगी। इस तरह के उपायों ने इंद्रा को बेहद प्रतिस्पर्धी कॉर्पोरेट जीवन में चुनौतियों से पार पाने के लिए काफी मजबूत और सख्त बना दिया। अपनी व्यस्त यात्राओं और कॉर्पोरेट गतिविधियों के बावजूद, इंद्रा अपने बच्चों और उनकी पढ़ाई को लेकर बहुत सतर्क रहतीं। यदि पेप्सिको की सीईओ अपनी बेटियों के उचित विकास और संस्कार में रुचि ले सकती हैं, तो क्या हममें से कोई कह सकता है कि वह बहुत व्यस्त हैं!
कई प्रसिद्ध और सफल लोग जैसे इंफोसिस की सुधा मूर्ति, डीआरडीओ की मिसाइल महिला टेसी थॉमस और इसरो चंद्रयान से जुड़ी कई महिलाएं समान भाव से देश और अपने परिवार दोनों की सेवा कर रही हैं। अमरीका में जन्मी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स अपने पिता डॉ. दीपक पंड्या के माध्यम से हिंदू धर्म में निहित थीं। वह अंतरिक्ष मिशन पर पवित्र भगवत् गीता, संस्कृत में एक पत्र और अपना पसंदीदा व्यंजन समोसा ले गईं। हरिलेला परिवार लगभग 80 सदस्यों के साथ हांगकांग में 40 बेडरूम वाली हवेली में रहता है और अगली पीढ़ी एक जुड़े हुए घर में रहती है। यह हांगकांग में सबसे सफल हिंदू सिंधी परिवार है। ये लगभग सौ वर्षों से भारत से दूर हैं। उनकी मां देवीबाई अक्सर उन्हें याद दिलाती थीं कि ‘चाहे आपका पासपोर्ट किसी भी देश का हो, लेकिन जब आप दर्पण के सामने खड़े हों, तो याद रखें कि आप एक भारतीय हैं…।’ प्रवासी भारतीयों ने उनके देशों में अनेक छोटे-बड़े मंदिर बनवाए हैं। माता-पिता अपने बच्चों को विशेष रूप से हिंदू त्योहारों के दौरान नियमित रूप से इन मंदिरों में लाते हैं। इससे पारिवारिक संबंधों को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। प्रवासी भारतीयों में अधिकांश विवाह अभी भी माता-पिता और दादा-दादी द्वारा तय किए जाते हैं। इसलिए कहा जा सकता है हमारी सदियों पुरानी परिवार व्यवस्था इस 21वीं सदी में हमें बचा रही है। हमारी सुंदर परिवार प्रणाली, सभी सामाजिक त्रासदियों का अमृत है।
- रवि कुमार, चेन्नई सेंटर फॉर ग्लोबल स्टडीज में सलाहकार