scriptप्रसंगवश: प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखना बड़ी चुनौती | Kota Group Editor Ashish Joshi Special Article On 5th Feb 2025 On Competitive Exam | Patrika News
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प्रसंगवश: प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता बनाए रखना बड़ी चुनौती

पेपर आउट होना सिर्फ गोपनीयता पर ही सवाल खड़े नहीं करता, बल्कि सिस्टम को भी चुनौती देता है।

कोटाFeb 05, 2025 / 12:09 pm

Ashish Joshi

प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर युवा वर्ग हर कहीं कुंठा का शिकार दिखता है। यह कुंठा परीक्षाओं की तैयारी से ज्यादा इस बात की व्यथा से उपजती है कि भर्ती प्रक्रिया निष्पक्ष हो पाएंगी अथवा नहीं? सत कानून बनाने और एसओजी की लगातार कार्रवाई के बाद भी राजस्थान में पेपरलीक के मामले सामने आने से युवाओं की कुंठा बढ़ रही है। पिछली सरकार के समय दस से अधिक बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपरलीक होने की वजह से 40 लाख से अधिक बेरोजगारों को दर्द मिला था।
विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। नई सरकार का एक साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी यह खेल थम नहीं रहा। पिछले दिनों नर्सिंग का पेपरलीक होने से परीक्षा तक को स्थगित करना पड़ा। डीएलएड द्वितीय वर्ष की अंग्रेजी विषय का पर्चा आउट होने के बाद शिक्षा विभाग ने परीक्षाएं स्थगित की। वहीं नेशनल सीड्स कॉर्पोरेशन की एग्री ट्रेनी परीक्षा में ऑनलाइन ऐप से बिछाया नकल का जाल प्रतिभाओं के बुने सपनों को फांसता मिला। पेपर आउट होने के बाद परीक्षाएं स्थगित या निरस्त होने से युवाओं का मनोबल भी टूटता है।

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पेपर आउट होना सिर्फ परीक्षाओं की गोपनीयता पर ही सवाल खड़े नहीं करता बल्कि सिस्टम को भी चुनौती देता है। पेपर लीक और हाईटेक नकल के प्रकरण सरकार के लिए बड़ी चुनौती हैं। पिछले कुछ सालों में ऐसे मामलों का खराब इतिहास रहा है। परीक्षा से पहले लगातार कई पेपर बाहर आए हैं। जिनकी पहुंच है, उन्हें मिल जाते हैं और ऐसे लोग मेहनत को मुंह चिढ़ाने का काम भी करते हैं।
पिछले घटनाक्रमों से चिंतित कई युवा अब प्रदेश में नौकरी के लिए होने वाली परीक्षाओं की बजाय केंद्र की प्रतियोगी परीक्षाओं को तरजीह देने लगे हैं। प्रतिभाओं का ऐसा भरोसा टूटना सरकार के लिए बड़ा सवाल है। सरकार का दायित्व है कि वह व्यवस्था का ऐसा शिकंजा कसे कि कोई पेपर लीक या नकल का दुस्साहस न कर सके। सिस्टम को इस कदर दुरुस्त बनाए कि किसी का परीक्षाओं से विश्वास न टूटे।
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इसके लिए प्रक्रिया की खामियों को पहचानना होगा और इन्हें दूर करने का जतन करना होगा। उनकी धरपकड़ भी जरूरी है जो पेपर को परीक्षा से पहले बाजार में लाकर युवाओं के हित पर कुठाराघात कर रहे हैं। देखा जाए तो आगामी दिनों की प्रतियोगी परीक्षाएं भी खुद सरकार के लिए भी परीक्षा की घड़ी हैं।
  • आशीष जोशी: ashish.joshi@epatrika.com

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