पहलगाम में हुआ आतंकी हमला जम्मू-कश्मीर में पिछले कई सालों से किए जा रहे शांति के प्रयासों को पटरी से उतारने वाली हरकत है। धर्म पूछ-पूछकर हत्या करना न सिर्फ घाटी बल्कि, पूरे देश में सांप्रदायिक आग भडक़ाने और राज्य की आर्थिक रीढ़ तोडऩे की नीयत से किया गया जान पड़ता है। इस हमले ने अनुच्छेद 370 स्थगित करने और उसके बाद विकास को पंख देने के प्रयासों को तगड़ा झटका दिया है। दरअसल, आतंकी आकाओं को यह बात बर्दाश्त नहीं हो रही है कि जम्मू-कश्मीर के लोग आर्थिक रूप से सक्षम हो जाएं। अब तक वे राज्य के लोगों को गुमराह करने के लिए वहां की आर्थिक बदहाली का ही फायदा उठाते रहे हैं। पिछले कुछ सालों में घाटी में विकास की नई बयार बहने लगी है। जनता से पिछले विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में हिस्सा लेकर अपने फर्जी रहनुमाओं को स्पष्ट संदेश दे दिया था। यह सब पाकिस्तान को कैसे रास आता। पाकिस्तान के सेना प्रमुख ने तो आतंकी गुटों को उकसाने वाला बयान भी दिया था।
सिंधु जल संधि पर भारत में पहले भी सवाल उठते रहे हैं। पाकिस्तान के पूर्वी इलाकों के लिए जीवन रेखा माने जाने के बावजूद सिंधु का ज्यादातर पानी बिना किसी इस्तेमाल के समुद्र में चला जाता है। दूसरी तरफ, इस संधि के कारण भारत चाहकर भी पानी का इस्तेमाल नहीं कर पाता। ऐसी संधि को नीतिगत चूक के रूप में देखा जाता रहा है। इसको दुरुस्त करने का भी यह अच्छा मौका है। इस संधि को स्थगित करके भारत ने बताया है कि जल कूटनीति का रणनीतिक इस्तेमाल करने का समय आ गया है।