सरकारी योजनाएं युवाओं को बेहतर रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास हैं, जो कुछ हद तक सफल भी रही हैं। हालांकि, इनकी प्रभावशीलता तभी सुनिश्चित हो सकती है जब उनका क्रियान्वयन जमीनी स्तर पर सटीक, समावेशी और पारदर्शी हो। इसे अधिक प्रभावी बनाने के लिए भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना जरूरी है। निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है।
— डॉ प्रमिला जैन
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सरकारी योजनाओं से कई युवाओं ने फायदा उठाया है। अग्निवीर योजना, बीएसएफ के इंजीनियरिंग क्षेत्र में सॉफ्टवेयर सेवाओं के विस्तार से युवा रोजगार में लगे हैं। मनरेगा, मुद्रा योजना, महिला रोज़गार योजना, सखी सहेली योजनाओं से आम लोगों को फायदा हुआ है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर कई युवाओं और महिलाओं ने अपनी आर्थिक स्थिति में सुधार किया है।
— मुकेश सोनी जयपुर
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सरकार की कौशल व प्रशिक्षण पर आधारित योजनाएं युवाओं के लिए बेहतर सिद्ध हुई हैं। सरकारी नौकरी के पीछे भागने की होड़ से अपने को अलग करक स्वयं के रोजगार पर ध्यान देता है।
— बिहारी लाल बालान, लक्ष्मणगढ़, सीकर
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उच्च शिक्षित युवाओं के लिए पर्याप्त रोजगार अवसर नहीं हैं। कई युवा स्नातकों के पास आवश्यक कौशल की कमी है जिससे उन्हें रोजगार नहीं मिल पा रहा है। सरकारी नौकरियों की संख्या सीमित है और निजी क्षेत्र में पर्याप्त रोजगार सृजन नहीं हो रहा है जिसके कारण बेरोजगारी दर बढ़ती जा रही है। सरकारी योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है। रोजगार योजनाओं के साथ-साथ कौशल विकास और निजी क्षेत्र में रोजगार सृजन पर भी ध्यान देना आवश्यक है।
— डाॅ. मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ
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सरकारी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन न हो पाने से युवाओं में बेरोजगारी बनी हुई है। युवाओं में सरकारी नौकरी के प्रति आकर्षण बना हुआ है। प्रतियोगी परीक्षाओं में लाखों युवा शामिल होते हैं लेकिन मात्र कुछ को ही नौकरी मिल पाती है। ऐसे में लाखों युवाओं का जीवन का अमूल्य समय बर्बाद हो जाता है। ऐसे में रोजगारोन्मुखी योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन जरूरी है।
— ओमप्रकाश श्रीवास्तव, उदयपुरा,म.प्र.
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युवाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती है—रोजगार। सरकार ने इस दिशा में कई योजनाएं शुरू की हैं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुद्रा योजना, स्टार्टअप इंडिया आदि। मेरा स्वयं का अनुभव है कि कई बार इन योजनाओं की जानकारी लेने की कोशिश की, लेकिन या तो सही जानकारी नहीं मिल पाई या फिर प्रक्रिया इतनी जटिल थी कि आगे बढ़ पाना मुश्किल हो गया। गांव या छोटे कस्बों में रहने वाले युवाओं को इन योजनाओं के बारे में बहुत कम जानकारी होती है और जब जानकारी मिलती भी है, तब भी मदद या संसाधन समय पर नहीं मिल पाते।
सही दिशा और सहयोग न मिलने के कारण कई युवा पीछे रह जाते हैं। इसका मतलब ये नहीं कि योजनाएं बेकार हैं, बल्कि इनका सही से लागू न होना सबसे बड़ी समस्या है। अगर सरकार इन योजनाओं को ज़मीनी स्तर पर अधिक प्रभावी बनाए, युवाओं को सही मार्गदर्शन दे, और प्रक्रिया को सरल बनाए, तो ये योजनाएं सच में युवाओं की ज़िंदगी बदल सकती हैं।
— रोहित सोलंकी, नर्मदापुरम , मध्यप्रदेश
युवाओं को रोजगार के अवसर मिले हैं लेकिन बेहतर क्रियान्वयन एवं जागरूकता के अभाव में इस कार्य में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। ग्रामीण क्षेत्रों तथा समाज के निचले तबके के युवाओं तक योजनाओं का समुचित लाभ नहीं पहुंच पा रहा है । औद्योगिक मांग के अनुरूप कौशल प्रशिक्षणों की व्यवस्था तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक रोजगार मेलों के आयोजन के माध्यम से युवाओं को आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध हो सकते हैं ।
— सर्वजीत अरोड़ा, जयपुर
सरकारी योजनाएं पूरी तरह से युवाओं को बेहतर रोजगार के साधन उपलब्ध कराने में सफल नहीं हो पाई हैं। युवाओं को स्वरोजगार के लिए बिना गारंटी के लोन और प्रशिक्षण नही मिल पा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में भी लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्धि नहीं मिली हैं। कई युवाओं को सरकारी योजनाओं का ज्ञान ही नहीं है। जिन्हें ज्ञान है उन्हें कार्यालय में जाकर धक्के खाने पड़ते हैं। इसके लिए जागरूक होना होगा।
— मोदिता सनाढ्य उदयपुर
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