तैयारी के लिए आवश्यक ये प्रोग्राम
कार्लसन ने साथ ही कहा कि वे इन कम्प्यूटर प्रोग्राम के विरोधी नहीं हैं। उन्होंने कहा, मैनुअली शतरंज को बढ़ावा देने में इन कम्प्यूटर प्रोग्राम की अहम भूमिका रही है। खिलाड़ी इन वेबसाइट पर नित नई चुनौतियों का सामना करते हैं और अपने खेल को बेहतर बनाते हैं। ये प्रोग्राम एक खिलाड़ी की तैयारी के लिए बेहतरीन प्रतिद्वंद्वी साबित होते हैं।
पहली बार कास्परोव ने किया था कम्प्यूटर का सामना
पूर्व विश्व चैंपियन गैरी कास्परोव एक कम्प्यूटर के खिलाफ शतरंज मैच खेलने वाले दुनिया के पहले खिलाड़ी थे। 1996-97 में डीप ब्लू के खिलाफ कास्परोव ने मैच खेला था। कास्परोव ने पहली बाजी तो जीत ली थी, लेकिन डीप ब्लू नाम के इस कम्प्यूटर प्रोग्राम ने दूसरे मैच में मजबूत वापसी की थी। एआई ने बदला खेल का तरीका
कार्लसन ने स्वीकार किया कि शतरंज में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के आने से खेल का तरीका बदला है। अब खिलाड़ी कम्प्यूटर या अपने स्मार्ट फोन पर कठिन से कठिन चुनौतियों को चुनकर उनका सामना कर सकते हैं। इससे उन्हें अपने इंसानी प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ रणनीति बनाने में सहायता मिलती है।
मशीनें सिर्फ जीतने के लिए खेलती है
कार्लसन ने अंत में यह भी कहा कि हम इंसान खेल की महत्ता और प्रसिद्धि के लिए खेलते हैं, लेकिन मशीनें सिर्फ जीतने के लिए खेलती हैं। यह हमारी विफलता नहीं है कि हम अपने स्मार्टफोन को हराने में असमर्थ हैं, बल्कि यह इस बात का प्रमाण है कि तनकीक कितना आगे बढ़ गई है। लेकिन कोई भी वेबसाइट एक इंसानी मुकाबले के रोमांच को कम नहीं कर सकती है। जब दो खिलाड़ी आमने-सामने बैठ कर अपनी साख दांव पर लगाते हैं तब खेल का रोमांच अपने चरम पर होता है।