उन्होंने कहा कि प्रतिभा कभी भी धन की कैद में नहीं होती, वह हमेशा खुद को प्रकट करती है। एक अभिभावक के रूप में आपको संतुलन बनाए रखने की जरूरत होती है। उन्होंने सिंधु की रुचि का जिक्र करते हुए कहा कि हमें बच्चों पर भरोसा करना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि एक खिलाड़ी के रूप में किसी को भी दूसरों को खेल के प्रति हतोत्साहित करना चाहिए।
खेल से भी मिलता है रोजगार
उन्होंने कहा कि खेल भी लोगों के लिए रोजगार के अवसर खोलता है। रेलवे हजारों एथलीटों को काम पर रख रहा है। खेलों में अच्छा होने पर प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश मिलता है। युवा खिलाडि़यों को नौकरी के अवसरों की उचित सूचना देकर मार्गदर्शन करना कोचों की जिम्मेदारी है।
गोपीचंद ने क्या कहा था
पुलेला गोपीचंद ने भारतीय अभिभावकों को सलाह देते हुए कहा था कि अगर वह अमीर नहीं है या फैमिली बिजनेस नहीं है तो उन्हें अपने बच्चों को खेल में नहीं डालना चाहिए। बच्चों को खिलाड़ी बनने के लिए नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रिकेट का मामला थोड़ा अलग है, लेकिन अन्य खेलों में खिलाडि़यों के सफल होने के चांस कम होते हैं।