मुंबई में पत्रकारों ने जब शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे से पूछा कि ‘क्या उत्तराखंड और गुजरात की तरह महाराष्ट्र में भी समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी’ तो उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और मैं इस पर चर्चा करने के लिए एक साथ बैठेंगे और निर्णय लेंगे।”
बता दें कि विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनने पर समान नागरिक संहिता कानून लाने पर कोई रोक नहीं सकता है।
गुजरात सरकार ने प्रदेश के लिए समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी अगले 45 दिनों में एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार के सामने पेश कर सकती है। जिसके आधार पर राज्य सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर निर्णय लेगी।
बता दें कि उत्तराखंड में 27 जनवरी को समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू किया गया था। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी पोर्टल और नियम को लॉन्च किया। उन्होंने कहा था कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू करके हम संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।
बता दें कि देश में समान नागरिक संहिता लागू करने या न करने की बहस के बीच उत्तराखंड इसे लागू करने वाला पहला राज्य है। उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के लिए काफी बातों पर विचार-विमर्श किया। यूसीसी में अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई है। इसके अनुसार, यूसीसी उत्तराखंड और उससे बाहर रहने वाले राज्यों के निवासियों पर लागू होगा। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई है। इसमें विवाह रजिस्ट्रेशन को लेकर भी नियम बनाया गया है। 26 मार्च 2010 से यूसीसी लागू होने की तारीख के बीच हुए विवाह का रजिस्ट्रेशन अगले छह महीने में करवाना जरुरी होगा। यूसीसी के लागू होने के बाद विवाह का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए 60 दिन का समय मिलेगा।