इसके साथ ही कहा है कि इससे घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जीवराज मीणा ने कहा कि चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यह वायरस वर्ष 2001 से मौजूद है। लेकिन रोगियों पर इसका प्रभाव सामान्य रहा है। इस वायरस से मौत का कोई मामला और चिंताजनक स्थिति सामने नहीं आई है।
बताया कि प्रतिवर्ष की भांति सर्दी के मौसम को देखते हुए बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं एवं गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्ति सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार आदि होने पर अस्पताल में चिकित्सक से परामर्श लें। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से भी स्पष्ट किया गया है कि यह वायरस घातक नहीं है।
खांसी-जुकाम जैसे सामान्य लक्षणों के साथ सर्दी के मौसम में आमतौर पर कुछ केस इस वायरस के सामने आते रहे हैं। जिस कम में विगत कुछ माह में मार्च से दिसंबर तक देशभर में नौ केस चिन्हित हुए हैं। निदेशालय द्वारा एहतियात के तौर पर प्रदेशभर में चिकित्सा अधिकारियों को सजग एवं सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, जांच व उपचार सहित अन्य आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने को भी कहा गया है।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में वर्तमान में इस वायरस की प्रमाणिक जांच के लिए 5 वीआरडीएल लैब एस जोधपुर, सवाई मानसिंह अस्पताल जयपुर, आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर, सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज बीकानेर एवं एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर में उपलब्ध हैं। किसी भी अस्पताल में इस वायरस के लक्षणों से संबंधित गंभीर रोगी सामने आने पर इन लैब में जांच करवाई जा सकती है।
सावधानी बरतने की आवश्यकता
कोविड और एचएमपीवी दोनों ही सांस संबंधी समस्या का कारण बनते हैं। लेकिन एचएमपीवी एक पुराना वायरस है और इसके मामले पहले भी आए हैं। यह कोविड जैसा खतरनाक नहीं है। लेकिन फिर भी अलर्ट रहकर सावधानी बरतने की जरूरत है।
एचएमपीवी से बचाव कैसे करें
अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से धोएं। जब आप छींकते या खांसते हैं तो अपनी नाक और मुंह को ढकें। अपनी कोहनी से, अपने नंगे हाथ से नहीं। आप बीमार हैं और दूसरों के आसपास रहने से बच नहीं सकते तो मास्क पहनने पर विचार करें। अपने चेहरे, आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें।