scriptस्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की बदहाली पर हाईकोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी, कहा- मेडिकल माफिया के कब्जे में प्रयागराज | Highcourt: High Court's harsh comment on the poor condition of Swarooprani Nehru Hospital, said- Prayagraj is under the control of medical mafia | Patrika News
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स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल की बदहाली पर हाईकोर्ट की तल्ख़ टिप्पणी, कहा- मेडिकल माफिया के कब्जे में प्रयागराज

Prayagraj: प्रयागराज में स्थित स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल मैं दुर्व्यवस्थाओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सख्त रूप दिखाया है। कोर्टनी शुक्रवार को डीएम सहित कई बड़े अधिकारियों को तलब किया, और कहा कि प्रयागराज मेडिकल माफिया के कब्जे में है।

प्रयागराजMay 24, 2025 / 08:34 am

Krishna Rai

Highcourt: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल, प्रयागराज की दयनीय हालत को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने कहा कि प्रयागराज पूरी तरह से मेडिकल माफिया के शिकंजे में है। सरकारी अस्पतालों में इलाज ठप है और गरीब, असहाय मरीज दलालों के चंगुल में फंसे हुए हैं, जो उन्हें निजी अस्पतालों में रेफर करवा रहे हैं। कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि निजी मेडिकल माफिया पर तुरंत लगाम नहीं लगी तो सरकारी चिकित्सा सेवाएं पूरी तरह चरमरा जाएंगी।

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स्वरूपरानी अस्पताल को बताया ‘शव विच्छेदन गृह’

न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल अब ‘अस्पताल’ नहीं, बल्कि ‘शव विच्छेदन गृह’ बन गया है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से न्यायमित्रों द्वारा प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट का जवाब मांगा है और संबंधित लापरवाह अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 29 मई को होगी।
मामला क्या है?

यह टिप्पणी मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. अरविंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई। डॉ. गुप्ता पर एक निजी नर्सिंग होम में इलाज में लापरवाही का आरोप है। जब उन्होंने राज्य उपभोक्ता फोरम के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की, तो कोर्ट ने उल्टे सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर सवाल उठाते हुए पूरे अस्पताल की व्यवस्था की जांच के आदेश दिए।
न्यायमित्रों की रिपोर्ट ने खोली पोल

कोर्ट द्वारा नियुक्त दो अधिवक्ताओं ने अस्पताल की स्थिति पर चौंकाने वाली रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया कि अस्पताल में दवाओं का टोटा है, आईसीयू और वार्ड के पंखे व एसी खराब हैं, पांच में से तीन एक्स-रे मशीनें काम नहीं कर रही हैं। सीवर लाइनें जाम हैं, सड़कों की हालत खस्ताहाल है और डाइग्नोस्टिक उपकरण भी निष्क्रिय हैं।
कोर्ट के निर्देश

प्रभारी अधीक्षक को तत्काल पंखों, कूलरों व एसी की मरम्मत के निर्देश।

नगर आयुक्त को अस्पताल परिसर की सफाई और सीवर की व्यवस्था सुधारने का आदेश।

जल निगम को एक सप्ताह में फंड मुहैया कराने का निर्देश।
PWD को अस्पताल की सड़कों की मरम्मत करने का आदेश।

डॉक्टरों की ड्यूटी लिस्ट अखबार में प्रकाशित करने के निर्देश, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

सीसीटीवी से निगरानी और ड्यूटी अनुपालन की व्यवस्था करने को कहा गया।
पेयजल, सुरक्षा व्यवस्था व साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देने को कहा गया।

मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स के प्रवेश पर रोक और अस्पताल परिसर के लॉन का गैर-चिकित्सकीय उपयोग प्रतिबंधित।

प्रशासनिक उदासीनता पर फटकार

प्रभारी अधीक्षक ने खुद माना कि अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रयागराज से आते हैं, फिर भी अस्पताल की यह दुर्दशा चिंताजनक है। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था निजी अस्पतालों के हाथों तबाह हो रही है और न्यायालय अब मूकदर्शक नहीं रह सकता।

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