ग्रामीणों का संघर्ष और अदालत की शरण
संदूको का गुड़ा की इस गोचर भूमि पर अतिक्रमण को लेकर गांववासियों ने वर्ष 2020 से लगातार शिकायतें की थीं, लेकिन प्रशासन ने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। ग्रामीणों ने पंचायत, पंचायत समिति और उपखंड अधिकारी से कई बार गुहार लगाई, लेकिन कोई हल नहीं निकला। तब, न्याय की उम्मीद में ग्रामीणों ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
उच्च न्यायालय ने दिया एसडीएम को आदेश
ग्राम वासियों की ओर से वकील ऋतुराज सिंह राठौड़ ने न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें यह बताया गया कि संदूको का गुड़ा की गोचर भूमि पर अतिक्रमण किया गया है, और इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। अदालत ने इस पर गंभीरता से विचार करते हुए 24 फरवरी को कुंभलगढ़ के उपखंड अधिकारी को आदेश दिया कि गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाया जाए और इसके लिए पंचायत को पुलिस जाब्ता उपलब्ध कराया जाए ताकि मौके पर कार्रवाई की जा सके।
अतिक्रमण की रिपोर्ट और कार्रवाई का आग्रह
याचिका में यह भी बताया गया कि ग्राम पंचायत आंतरी की ओर से अतिक्रमियों को पत्र लिखकर चेतावनी दी गई थी कि गोचर भूमि पर किए जा रहे निर्माण कार्य अवैध हैं, लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा, नवंबर 2024 में पब्लिक लैंड प्रोटेक्शन सेल के अध्यक्ष कलक्टर राजसमंद को भी इस मामले की सूचना दी गई, लेकिन अतिक्रमण हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।
अदालत का कड़ा आदेश
वकील राठौड़ के तर्कों को सुनते हुए, राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मनिंदर मोहन श्रीवास्तव और न्यायाधीश मुन्नरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने आदेश दिया कि गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाया जाए और इसके लिए ग्राम पंचायत को पुलिस जाब्ता उपलब्ध कराया जाए।