script31 वर्ष बाद नाथद्वारा में पधारे द्वारकाधीश, दर्शन पाने के लिए भक्तों का उमड़ा सैलाब | Dwarkadhish came to Nathdwara after 31 years, a huge crowd of devotees gathered to have darshan | Patrika News
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31 वर्ष बाद नाथद्वारा में पधारे द्वारकाधीश, दर्शन पाने के लिए भक्तों का उमड़ा सैलाब

31 वर्ष बाद श्री द्वारकाधीश का आगमन, भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बन गया।

राजसमंदFeb 28, 2025 / 11:47 am

Madhusudan Sharma

Nathdwara news
नाथद्वारा. 31 वर्ष बाद श्री द्वारकाधीश का आगमन, भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बन गया। वल्लभ संप्रदाय की तृतीय पीठ से द्वारकाधीश को लेकर कांकरोली से नाथद्वारा स्थित जीर्णोद्धार मंदिर में लाया गया, जहां उनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।

प्रभु के दर्शन से गूंज उठा मंदिर

द्वारकाधीश के आगमन के साथ ही मंदिर परिसर में “जयद्वारकाधीश” के उद्घोष से माहौल मंत्रमुग्ध हो गया। लाखों भक्तों ने उत्साहपूर्वक भगवान के दर्शन किए और आनंद की अनुभूति की। द्वारकाधीश जी की 3 दिवसीय उपस्थिति के दौरान मंगला, राजभोग, उत्थापन और शयन की शानदार सेवा हुई, जहां भक्तों ने भगवान की भव्य झांकी और अलौकिक श्रृंगार का दर्शन किया।

मंगला दर्शन और भव्य सेवा

मंगलवार सुबह, प्रभु द्वारकाधीश के मंगला दर्शन के साथ सेवा का आरंभ हुआ। भक्तों ने प्रभु के दिव्य रूप के दर्शन किए, और सुबह से लेकर दिनभर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। हर कोने में भगवान के जयकारे गूंज रहे थे।

राजभोग झांकी का आकर्षक दृश्य

सुबह के मंगला दर्शन के बाद, साढ़े ग्यारह बजे राजभोग झांकी का आयोजन हुआ। द्वारकाधीश की आकर्षक साज-सज्जा में केसरी कुल्हे तापे, स्वर्ण आभूषण और हरे ठाडे वस्त्रों ने उनके रूप को और भी दिव्य बना दिया। भक्तों ने भगवान के रूप और भोग का आनंद लिया, और मंदिर तथा नगर को रंग-बिरंगी लाइटों और पुष्पहारों से सजाया गया था।

बांसुरी की मधुर धुनों पर झूमे भक्त

द्वारकाधीश बैंड द्वारा प्रस्तुत बांसुरी की मधुर धुनों ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। भक्ति-रस में डूबे श्रद्धालु नृत्य करते हुए इस अद्भुत संगीत का आनंद लेने लगे। कीर्तन और आरती से मंदिर का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर हो गया।

प्रभु के आशीर्वाद से भक्तों का हृदय हुआ शांत

कांकरोली तृतीय पीठाधीश गोस्वामी वागीश कुमार, गोस्वामी वेदांत कुमार और गोस्वामी सिद्धांत कुमार सहित अन्य आचार्यों ने प्रभु की आरती उतारी, जिससे भक्तों को आध्यात्मिक समाधान प्राप्त हुआ। 28 फरवरी को द्वारकाधीश पुनः कांकरोली मंदिर लौटेंगे, और श्रद्धालु उन्हें विदाई देने के लिए एकत्रित होंगे।

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