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सरकार ने करीब ढ़ाई साल पहले इन चीजों पर लगाया प्रतिबंध, लेकिन अभी भी धड़ल्ले से हो रहा उपयोग…पढ़े पूरी खबर

केन्द्र सरकार ने एक जुलाई 2022 को सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया था, लेकिन अब भी इनका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। जिम्मेदार विभागों की अनदेखी के कारण सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध नहीं लग पाया है।

राजसमंदMar 21, 2025 / 11:15 am

himanshu dhawal

राजसमंद. जिले में ढ़ाई साल बाद भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगना तो दूर उसका उपयोग तक कम नहीं हो पा रहा है। आमजन के जागरुक होने के बावजूद इसका उपयोग कम होने के स्थान पर दिनों-दिन बढ़ता ही जा रहा है। इसके विक्रेता और उपयोग करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण स्थिति जस की तस बनी हुई है। शहरी क्षेत्र से प्रतिदिन पांच टन से अधिक सिंगल यूज प्लास्टिक निकल रहा है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की आंखे नहीं खुल रही है। भारत सरकार ने एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज या एक बार उपयोग होने वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाया था। उक्त रोक को लगाए ढ़ाई साल से अधिक होने के बावजूद अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों दिखाई दे रही है। बाजरों में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग खुलेआम और धड़ल्ले से हो रहा है। विक्रेता भी दुकानों के बाहर खुले में कर्टन में और शोपिस की तरह लटकाकर उनकी बिक्री कर रहे हैं। प्लास्टिक के डिस्पोजल आइटम आमजन को आसानी से उपलब्ध होने के कारण सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक सिर्फ कागजों तक सिमट कर रह गई है। नाले-नाली प्लास्टिक के कचरे से अटे पड़े हैं। इससे पर्यावरण के साथ स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। इसके बावजूद इसके उपयोग में किसी प्रकार की कमी नहीं आ रही है।

फैक्ट फाइल (प्रतिदिन के आंकड़े)

  • 30 से अधिक डिस्पोजल की दुकानें
  • 300 किलो से अधिक पॉलीथिन का उपयोग
  • 5 से 6 हजार चाय के कागज कप का उपयोग
  • 2000 से हजार से अधिक प्लास्टिक के गिलास
  • 2000 हजार के करीब प्लास्टिक के चम्मच
  • 1500 से 2000 के करीब कागज के दोने

हर जगह हो रहा उपयोग

सिंगल यूज प्लास्टिक का हर जगह उपयोग हो रहा है। गन्ने के ज्यूस से लेकर चाय की दुकानों पर इनका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। फास्टफूड को खाने में प्लास्टिक के चम्मच और स्टील की प्लेटों की जगह थर्माकॉल की प्लेट अथवा दोनों का उपयोग रहा है। शादी-विवाह में पानी के उपयोग के उपयोग में प्लास्टिक के गिलास और चम्मच का उपयोग हो रहा है। स्थिति यह है कि वर्तमान में प्रतिदिन शहर से पांच टन से अधिक सिंगल यूज प्लास्टिक निकल रहा है, शादी विवाह के सीजन में इसकी संख्या बढ़ जाती है। उल्लेखनीय है कि कागज के कप और दोने में प्लास्टिक की बारिक परत होती है।

ट्रेचिंग ग्राउण्ड में पॉलीथिन का अम्बार

शहर से निकलने वाले कचरे को ट्रेचिंग ग्राउण्ड भेजा जाता है। वहां पर प्लास्टिक से आरडीएफ बनाया जाता ैहै, जबकि अन्य खाद्य वस्तुओं, कपड़े और लकड़ी आदि के टुकडों से कम्पोस्ट बनाया जाता है। स्थिति यह है कि ट्रेचिंग ग्राउण्ड में आरडीएफ का अम्बार लगा हुआ है। इसके पुन:उपयोग नहीं होने के कारण सिर्फ इन्हें सीमेंट फैक्ट्रियों में जलाने के काम में लिया जाता है।

इनके उपयोग को मिलना चाहिए बढ़ावा

  • चाय में कागज के कप की जगह कांच के गिलास का उपयोग
  • प्लास्टिक के गिलास की पानी के लिए स्टील के गिलास का उपयोग
  • डिस्पोजल प्लेट की जगह स्टील की प्लेट काम में लेनी चाहिए
  • पॉलीथिन की जगह कपड़े के थैले का प्रयोग करना चाहिए

लोगों को कर रहे है जागरूक, करेंगे कार्रवाई

सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नुकसानदेह है इसके लिए आमजन को जागरूक किया जा रहा है। गत दिनों राजनगर सब्जी मंडी में कपड़े के थैले का वितरण किया गया था। समझाइश के बावजूद इसकी बिक्री और उपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
  • बृजेश रॉय, आयुक्त नगर परिषद

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