स्कूलों में किचन शेड का निर्माण पंचायतों ने कराया था, लेकिन निर्माण के समय किए गए घटिया निर्माण के कारण कुछ माह में ही शेड जर्जर होने लगे थे और अब यह स्थिति हो गई है कि वह उपयोग लायक भी नहीं बचे हैं। अधिकांश समूह मध्याह्न भोजन घर से ही तैयार कर रहे हैं। जिन समूहों के पास घर में व्यवस्था नही है वह मजबूरी में जर्जर शेड में ही भोजन बनाते हैं। घरों से बन रहे मध्याह्न भोजन के कारण मॉनीटङ्क्षरग भी नहीं हो पाती है। कई जगह स्कूलों के अतिरिक्त कक्षों में भी मध्याह्न भोजन तैयार किया जा रहा है, जिससे अतिरिक्त कक्ष खराब हो गए हैं।
10 प्रतिशत हैं मरम्मत लायक जानकारी के अनुसार स्कूलों के 90 प्रतिशत किचन शेड मरम्मत लायक भी नहीं बचे हैं और शेष दस प्रतिशत ही हैं, जिनकी मरम्मत की जा सकती है। इसको लेकर जिला पंचायत के अधिकारियों को पत्र भी लिखे जा चुके हैं।
बनाई गई है सूची &जर्जर किचन शेडों की सूची तैयार की गई है और जिला पंचायत, जनपद पंचायत के अधिकारियों को जानकारी भेज दी गई है। महेन्द्र ङ्क्षसह, बीआरसीसी, बीना