समय पर होती व्यवस्था तो होती 250 सीट
बीएमसी का भवन पहले से ही 150 सीटों के हिसाब से बना था, लेकिन कर्मचारियों व संसाधनों के अभाव के कारण उसे मात्र 100 एमबीबीएस सीट के साथ 2009 में शुरू किया गया था। इसके बाद इडब्ल्यूएस की 25 और सीटें बढ़ाई गईं थीं। फिर बीएमसी को 2019 में 250 एमबीबीएस सीटें बढ़ाने 200 करोड़ रुपए भी स्वीकृत हुए, लेकिन जगह के अभाव में प्रबंधन इंफ्रास्ट्रक्चर व कर्मचारी की व्यवस्था नहीं कर पाया। अब 250 की जगह 150 सीट पर प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी चल रही है।इन विभागों में भर्ती प्रक्रिया
एनाटॉमी, माइक्रोबायोलॉजी, रेडियोलॉजी, कैजुअल्टी, पैथोलॉजी में प्रोफेसर्स की भर्ती प्रक्रिया चल रही है, वहीं मेडिसिन, सर्जरी, इएनटी, ऑर्थो, पीडिया जैसे विभाग में 150 सीटों के हिसाब से पर्याप्त स्टाफ मौजूद रहे। सभी 17 विभागों में संसाधन जुटाए जा रहे हैं।सोनोग्राफी की वेटिंग खत्म होगी
रेडियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट व एसोसिएट प्रोफेसर आने के बाद एक्सरे व सोनोग्राफी के लिए मरीजों की वेटिंग खत्म हो जाएगी। दोपहर 2 बजे के बाद भी मरीजों की जांच हो सकेगी। अभी विभाग में विभागाध्यक्ष सहित मात्र 2 प्रोफेसर ही हैं, जो सुबह से दोपहर 1.30 बजे तक करीब 150 जांचें कर देते हैं, लेकिन दोपहर में विभाग में ताला लग जाता है और हर दिन करीब 40-50 मरीज बिना जांच कराए मायूस होकर लौट जाते हैं।आसानी से उपलब्ध होगा ब्लड
एनएमसी की गाइडलाइन अनुसार मेडिकल कॉलेज में ब्लड बैंक जरूरी है, लेकिन अभी तक बीएमसी जिला अस्पताल की ब्लड बैंक से ही काम चलाता आ रहा है। बीएमसी में हर दिन ऑपरेशन, प्रसूताओं और एक्सीडेंट केस में 25-30 यूनिट ब्लड रोज लगता है, लेकिन ब्लड लाने मरीज जिला अस्पताल भागते हैं, उन्हें परेशान होना पड़ता है। अब बीएमसी में ब्लड बैंक की व्यवस्था होगी, जहां मरीजों को आसानी से ब्लड उपलब्ध हो सकेगा।सीएमओ बढ़ने से कैजुअल्टी की व्यवस्था सुधरेगी
मेडिकल कॉलेज के आपातकालीन वार्ड में कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर की कमी पूरी होने से यहां इलाज की व्यवस्था में और अधिक सुधार होगा। एक्सीडेंट या आपात स्थिति में आने वाले मरीजों की देखरेख ठीक से हो सकेगी। 4-5 सीएमओ व्यवस्थाएं संभाल रहे हैं, जबकि यहां पर इनकी संख्या दोगुनी होने की जरूरत है।– डॉ. पीएस ठाकुर, डीन बीएमसी।