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सागर में हैं सुंदर मंदिर, सात दिनों में ऐसा लगा जैसे वृंदावन में ही रहा हूं : पंडित इंद्रेश महाराज

सागर. बालाजी मंदिर के गिरिराज स्वरूप गिरी पर हो रही श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम बुधवार को हुआ। कथा व्यास पं इंद्रेश महाराज ने सागर शहर के आकर्षण सौंदर्य और यहां के मंदिरों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि इन सात दिनों में ऐसा लगा जैसे वृंदावन में ही रहा हूं।

सागरFeb 06, 2025 / 11:46 am

रेशु जैन

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सागर. बालाजी मंदिर के गिरिराज स्वरूप गिरी पर हो रही श्रीमद् भागवत कथा का विश्राम बुधवार को हुआ। कथा व्यास पं इंद्रेश महाराज ने सागर शहर के आकर्षण सौंदर्य और यहां के मंदिरों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि इन सात दिनों में ऐसा लगा जैसे वृंदावन में ही रहा हूं। उन्होंने कहा कि भगवान को मित्र बना लिया तो भागवत प्राप्ति हो गई समझो। नवादा भक्ति में एक भक्ति है साख्य भक्ति साख्य भाव। साख्य भाव रखने के लिए जितेंद्रीय, विरक्त इंद्रिय और प्रशांत आत्मा इन तीन गुणों का होना जरूरी है। जब तक यह तीन गुण नहीं आते तब तक ठाकुर जी भक्त को सखा नहीं मानते। संक्षिप्त रूप से भगवान के 16108 विवाहों में किस प्रकार भगवान अनेक रूप धारण कर उनके साथ रहे, अश्वमेघ यज्ञ, सुदामा चरित्र कथा की इसके बाद यदु वंश की समाप्ति की कथा सुनाई।
भारत तब श्रेष्ठ होगा जब यहां एक भी वृद्धाश्रम न रहे

कथा में महाराज ने कहा कि सुनने में वृद्धाश्रम शब्द सहज है, लेकिन चिंतन करेंगे तब समझेंगे की वृद्धाश्रम का होना माता पिता के प्रति प्रेम न होना है। जिस दिन इस देश से वृद्धाश्रम खत्म हो जाएंगे तभी एक श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण होगा। माता पिता की सेवा से ठाकुरजी रीझ जाते हैं और विट्ठल बनकर अपने भक्त की प्रतीक्षा करते हैं। हमेशा माता पिता की प्रसन्नता का कार्य करें ऐसा कोई कार्य न करें जिससे कि माता पिता को कष्ट हो। कथा में वैष्णवाचार्य पुंडरीक गोस्वामी महाराज ने कहा कि जैसे पहले कुंभ में सभी तो जा नहीं पाते थे, जो व्यक्ति जाता था वह पूरे गांव की भेंट ले जाता था। उन्होंने कहा जब ठाकुरजी दिखते तो गिरधर लाल दिखते हैं और जब बोलते है तो इंद्रेश जी जैसे बोलते हैं।
बड़ी संख्या में भक्त रहे मौजूद

कथा में मुख्य यजमान अनुश्री जैन, विधायक शैलेंद्र जैन, केबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, नगर निगम अध्यक्ष वृंदावन अहिरवार, जिलाध्यक्ष श्याम तिवारी नगर नगर आयुक्त राजकुमार खत्री, जगन्नाथ गुरैया, सुखदेव मिश्रा, रामअवतार तिवारी, याकृति जडिय़ा, शैलेंद्र ठाकुर, संगीता जैन, धर्मेन्द्र खटीक, रीतेश तिवारी, पराग बजाज, अमित बैसाखिया, मेघा दुबे, नीरज यादव, नीलम अहिरवार, रीतेश मिश्रा, मनीष चौबे, विक्रम सोनी, प्रासुक जैन, श्रीकांत जैन, श्याम नेमा, रीतेश पांडे आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे। कथा के समापन पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसादी ग्रहण की।

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