जिम्मेदार बेपरवाह: जिले में सालाना लक्ष्य 1920 का, 1263 कुपोषित ही पहुंच पाए एनआरसी
पोषण पुनर्वास केंद्रों में खाली पड़े रहते हैं बेड सीधी. जिले में कुपोषित बच्चों को चिन्हांकन तो किया जा रहा है, लेकिन उन्हें पोषित करने आवश्यक कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। कुपोषित बच्चों को पोषित करने शासन स्तर से पोषण पुनर्वास केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण […]


जिम्मेदार बेपरवाह: जिले में सालाना लक्ष्य 1920 का, 1263 कुपोषित ही पहुंच पाए एनआरसी
पोषण पुनर्वास केंद्रों में खाली पड़े रहते हैं बेड सीधी. जिले में कुपोषित बच्चों को चिन्हांकन तो किया जा रहा है, लेकिन उन्हें पोषित करने आवश्यक कदम नहीं उठाये जा रहे हैं। कुपोषित बच्चों को पोषित करने शासन स्तर से पोषण पुनर्वास केंद्रों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र के बेड खाली पड़े रहते हैं। जिला मुख्यालय सहित जिले के समस्त सामुदायिकत स्वास्थ्य केंद्र में एक-एक पोषण पुनर्वास केंद्र खोला गया है। जिला अस्पताल सीधी परिसर स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र 20 बेड का है, जबकि सीएचसी के केंद्र 10-10 बेड के हैं।
कुपोषित बच्चों को एनआरसी पहुंचाने में जिम्मेदार बेपरवाह
विभागीय अधिकारियों के अनुसार कुल 80 बेड के पोषण पुनर्वास केंद्रों में वर्ष भर में 1920 कुपोषित बच्चों को भर्ती करने का लक्ष्य निर्धरित किया गया है, जिसके विरूद्ध माह अप्रेल 2024 से माह फरवरी 2025 तक कुल 1263 कुपोषित बच्चे ही भर्ती कराये जा सके। जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही के कारण सुविधा के बावजूद कुपोषित बच्चे पोषण पुनर्वास केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, और केंद्रों के बेड खाली पड़े रहते हैं।
सबसे बेहतर मझौली, सेमरिया सबसे खराब
पोषण पुनर्वास केंद्रों में वर्ष भर में भर्ती कराये गए कुपोषित बच्चों के आंकड़े पर नजर दौड़ाएं तो सबसे बेहतर स्थिति मझौली की है, यहां 240 लक्ष्य के विरूद्ध 192 कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया। जबकि सबसे खराब स्थित सेमरिया सीएचसी की रही, यहां 240 वार्षिक लक्ष्य के विरूद्ध महज 93 कुपोषित बच्चे ही भर्ती कराये गए। इसके अलावा जिला अस्पताल के एनआरसी में 480 वार्षिक लक्ष्य के विरूद्ध 326, रामपुर नैकिन में 240 के विरूद्ध 185, सिहावल में 240 के विरूद्ध 169 और कुसमी में 240 के विरूद्ध 130 कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया गया।
अति कम वजन के 31, कम वजन के 211 बच्चे
महिला बाल विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में अति कम वजन के 31 व कम वजन के 211 बच्चे चिन्हित हैं। इन्हे पोषित करने के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने की आवश्यकता है। विभागीय अधिकारियों का दावा है कि मैदानी अमले को इस संबंध में आवश्यक निर्देश भी दिये गए हैं, लेकिन उनकी लाख समझाइस के बाद भी माता-पिता भर्ती कराने को तैयार नहीं होते।
फैक्ट फाइल
जिले में पोषण पुनर्वास केंद्रों की संख्या- 07
स्वीकृत बिस्तरों की संख्या- 80
कुपोषित बच्चों को भर्ती कराने का वार्षिक लक्ष्य- 1920
लक्ष्य के विरूद्ध वर्ष भर में भर्ती कराये गए कुपोषित बच्चे- 1263
जिले में अति कम वजन के बच्चे- 31
कम वजन के बच्चों की संख्या- 211
कुछ कुपोषित बच्चों की घर पर ही मॉनिटरिंग होती है
उन कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराना है, जिनकी स्थिति अत्यधिक क्रिटिकल है। अति कम वजन एवं कम वजन वाले कुपोषित बच्चों को घर पर ही एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से तीन माह का निर्धारित कोर्स कराकर पोषित करना है। इसलिए एनआरसी में भर्ती बच्चों की संख्या कम हो रही है।
आरसी त्रिपाठी, जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास
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