scriptदिखावे की चल रही योजना: दो माह में 16 नवजात और दो गर्भवती की मौत | There is a plan to show off: 16 newborns and two pregnant women died in two months | Patrika News
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दिखावे की चल रही योजना: दो माह में 16 नवजात और दो गर्भवती की मौत

मातृ-शिशु मृत्यु दर नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग नाकाम सीधी. मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग अन्य विभागों के सहयोग से काफी धनराशि खर्च करता है, लेकिन उसके बाद भी ग्राफ कम नहीं हो रहा है। वर्ष 2025 के दो माह जनवरी व फरवरी की बात की जाए तो जिला अस्पताल में […]

सीधीApr 13, 2025 / 07:06 pm

Anil singh kushwah

मातृ-शिशु मृत्यु दर नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग नाकाम

मातृ-शिशु मृत्यु दर नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग नाकाम

मातृ-शिशु मृत्यु दर नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग नाकाम

सीधी. मातृ एवं शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग अन्य विभागों के सहयोग से काफी धनराशि खर्च करता है, लेकिन उसके बाद भी ग्राफ कम नहीं हो रहा है। वर्ष 2025 के दो माह जनवरी व फरवरी की बात की जाए तो जिला अस्पताल में 16 नवजात तथा दो गर्भवती महिलाओं की मौत हुई है। शासकीय योजनाएं हैं, प्रचार-प्रसार भी हो रहा है, फिर भी मृत्यु दर पर नियंत्रण नहीं है।
अब तक 11 गर्भवती महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान हुई
दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण डिलेवरी के समय उनकी स्थिति गंभीर हो जाती है। इससे प्रसव के दौरान नवजात या फिर उनकी मौत हो जाती है। जिला अस्पताल मेें गर्भवती महिलाओं व नवजात की मौत का आंकड़ा रुक नहीं रहा है। वर्ष 2023 के आंकड़ों के अनुसार अस्पताल के गायनिक वार्ड में 123 नवजात की मौत हुई थी, जबकि सात प्रसूताओं ने दम तोड़ा। इसी तरह वर्ष 2024 में 103 नवजात की मौत तथा 11 गर्भवती महिलाओं की मौत प्रसव के दौरान हुई है।
ब्लड प्रेशर व खून की कमी बड़ी वजह
प्रसव के दौरान मौत की सबसे बड़ी वजह हाई रिस्क प्रेग्नेंसी है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं की मौत ब्लड प्रेशर कम या ज्यादा होने तथा खून की कमी से होती है। वहीं, जिन गर्भवती महिलाओं की मौत सामने आती हंै, वे ग्रामीण क्षेत्रों की होती हैं। इन महिलाओं को गर्भधारण के साथ ही समय-समय पर जो भी स्वास्थ्य जांच, पोषण आहार मिलना चाहिए, वह मिल नहीं पाता।
कर्मचारी बरतते हैं लापरवाही
खून की कमी, शरीर में सूजन, खून का गिरना, वजन कम होना, ब्लड प्रेशर जैसे 16 ङ्क्षबदुओं पर जांच के बाद महिलाओं को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी में शामिल किया जाता है। इस श्रेणी में शामिल गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल और उपचार देना होता है। लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में मैदानी स्तर के कर्मचारी लापरवाही बरतते हैं। पूर्व में ऐसी ही लापरवाही सामने आने पर राज्य मानवाधिकार अधिनियम ने गर्भवती महिला की मौत के मामले में जांच करने के निर्देश जारी किए गए थे, ङ्क्षकतु मामले को रफा दफा कर दिया गया।
होती है समीक्षा
मातृ-शिशु मृत्यु दर रोकने के लिए शासन की कई योजनाएं संचालित हैं। इनकी नियमित मॉनिटङ्क्षरग की जाती है। कर्मचारियों की लापरवाही सामने आती है, तो उन पर कार्रवाई की जाती है। जमीनी स्तर के कर्मचारियों की लगातार बैठक लेकर निर्देशित किया जाता है तथा लक्ष्य दिया जाता है। उसकी समीक्षा भी की जाती है।
डॉ. बबिता खरे, सीएमएचओ

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