मजदूरों ने बताया कि पिछले दिनों में किए गए उनके काम का कुल भगुतान 51 लाख रुपए बन रहा है। ठेकेदार ने उन्हें करीब साढ़े तीन लाख रुपए ही दिए। बाकी का भुगतान अटका हुआ है। इस बीच ठेकेदार ने महज 4.31 लाख रुपए बकाया होना बताया।
मंगलवार को जिला कलक्टर से वार्ता में भी कोई हल नहीं निकला। कलेक्टर आवास के बाहर रात्रि को एक गर्भवती महिला मजदूर की तबीयत खराब हो गई थी, जिसे चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया था। बुधवार को मजदूर अपने परिवार के साथ कलक्ट्रेट के बाहर आए और धरने पर बैठ गए। बुधवार दोपहर को मजदूरों ने अपने खाने-पीने सामान और बिस्तरों से भरे बोरों और कट्टों को कलक्ट्रेट के बाहर सडक़ पर फैला दिया और रोड़ को जाम कर दिया। इस दौरान कलक्ट्रेटमेे मौजूद जाब्ते ने समझाइश की पर मजदूर अपनी मांग को लेकर अड़े रहे और सडक़ जाम कर दिया। कलक्ट्रेट के बाहर जाम की सूचना पर थानाधिकारी आदर्श कुमार मय जाब्ते के मौके पर पहुंचे और मजदूरों को वहां से हटने को कहा। मजदूरों ने विरोध किया तो पुलिस ने उन्हें खदेड़ा।
पुलिस के बल प्रयोग करने पर विरोध प्रदर्शन कर रहे मजदूरों में हडक़ंपमच गया और मजदूर इधर-उधर भागने लगे। ऐसे में मौके पर अफरा-तफरी मच गई। कुछ महिलाएं बेसुध भी हो गई। श्रमिकों पर भी मनमानी का आरोप
बताया जा रहा है कि एमपी के श्रमिकों को उनकी तय मजदूरी का भुगतान कर दिया गया, लेकिन वे तीन गुना ज्यादा पैसा वसूलना चाहते हैं। इसको लेकर ठेकेदारों ने भी अपनी पीड़ा जिला प्रशासन के सामने रखी है।