उत्तर प्रदेश के उन्नाव के सफीपुर कोतवाली क्षेत्र के कजियाना निवासी सईद पुत्र अकील ने 12 नवंबर को 2018 को कोतवाली में तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें उसने बताया कि 11 नवंबर 2018 की रात वह अपने पिता अकील पुत्र जग्गन के साथ घर वापस आ रहे थे। गेस्ट हाउस के पास पहुंचे ही थे कि आतिर और कासिम पुत्रगण सुलेमान और दो अन्य अज्ञात लोगों ने घेर लिया। उन पर हमला बोल दिया गया। कासिम ने असलहा निकालकर पापा पर गोली चला दी। आतिर ने उसके सिर पर डंडे से हमला बोल दिया। वह मौके पर गिर पड़ा।
पिता की उपचार के दौरान मौत
अपनी तहरीर में सईद ने बताया कि फोन नंबर पर पुलिस की जानकारी देने की कोशिश की गई। पर नहीं लगा। घर वालों को फोन करके बुलाया। मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों को स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया। जहां से जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। उपचार के दौरान उनके पिता अकील की मौत हो गई।
अदालत का आदेश
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आतिर और कासिम पर आईपीसी की धारा 302 के अंतर्गत दोष सिद्ध पाया गया। जिन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही 10-10 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड अदा ना करने की स्थिति में दो-दो माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। घटना की पैरोकारी करने वाले में हेड कांस्टेबल धर्मेंद्र सिंह, कोर्ट मोहर्रिर कांस्टेबल वीर प्रताप सिंह, महिला कांस्टेबल रीना गुप्ता थी। विवेचना इंस्पेक्टर राघवन कुमार सिंह और एडीजीसी विनय शंकर दीक्षित के प्रयासों से अधिकतम सजा दी गई।