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पुलिस अनुसंधान में फिर सामने आई लापरवाही, जांच अधिकारी नपा

– आर्म्स एक्ट के मामले में लचर जांच से अदालत तल्ख आईओ व पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश अजमेर. आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज 10 साल पुराने फौजदारी प्रकरण में लापरवाही पूर्ण जांच के चलते आरोपियों के बरी हो जाने काे लेकर अदालत ने खासी तल्खी दिखाई। अदालत ने ऐसे लचर अनुसंधान करने […]

अजमेरFeb 26, 2025 / 12:20 am

Dilip

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– आर्म्स एक्ट के मामले में लचर जांच से अदालत तल्ख

आईओ व पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के आदेश

अजमेर. आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज 10 साल पुराने फौजदारी प्रकरण में लापरवाही पूर्ण जांच के चलते आरोपियों के बरी हो जाने काे लेकर अदालत ने खासी तल्खी दिखाई। अदालत ने ऐसे लचर अनुसंधान करने वाले जांच अधिकारी व पुलिस कर्मियों के खिलाफ पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त मुख्य सचिव ग़ृह, पुलिस महानिरीक्षक अजमेर व जिला कलक्टर को निर्णय की प्रति प्रेषित की है। अदालत ने दो माह में विभागीय कार्यवाही कर परिणाम से न्यायालय को अवगत कराने के भी निर्देश दिए।
यह है प्रकरण

अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश व न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या दो मनमोहन चंदेल ने आर्म्स एक्ट के प्रकरण में पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को बरी कर दिया।परिवादी क्रिश्चियन गंज थाने के उपनिरीक्षक कंवरपाल सिंह ने एक अक्टूबर 2015 को चौरसियावास निवासी शाहरुख चीता के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा 3/ 25 के तहत मामला दर्ज कराया। इसमें अनुसंधान अधिकारी बाबूलाल टेपण ने जांच कर चालान पेश किया। जांच में अदालत ने पाया कि साक्ष्यों में इत्तला, बरामदगी, जब्ती, मालखाना इंचार्ज व आर्मोटर सहित गवाहों के बयान में भारी विरोधाभास रहा। अभियोजन स्वीकृति के गवाह नहीं पेश किए गए। ऐसे में अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया। बचाव पक्ष के वकील सुरेश गुर्जर रहे।
अदालत तल्ख

अदालत ने अन्य न्यायिक दृष्टांतों के मदुदेनजर सामान्य नियम के आदेश 35 नियम 6 के तहत आदेश व निर्णय की प्रति पुलिस महानिदेशक सहित अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों व कलक्टर को भेज कर पुलिस कर्मियों के खिलाफ दो माह में कार्रवाई कर न्यायालय को अवगत कराने के आदेश दिए। आदेश 35 नियम 6 के तहत यदि किसी प्रकरण में अदालत को पुलिस की ओर से की गई जांच में गंभीर अनियमितता की गई तो ऐसी जानकारी संबंधित मजिस्ट्रेट पुलिस महानिदेशक की जानकारी में लाए। जिससे ऐसे पुलिस कर्मी पर समुचित स्तर पर कार्रवाई की जा सके। आमजन का न्याय के प्रति विश्वास हो व इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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