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अनूपपुर

पत्नी को जलाकर मारने पर पति को आजीवन कारावास की सजा

राजनगर थाना क्षेत्र के बहुचर्चित हत्याकांड में कोतमा अपर सत्र न्यायालय ने सुनाया फैसला

अनूपपुरMar 02, 2025 / 12:20 pm

Sandeep Tiwari

Rajasthan High Court Strict Order Pay 15 Months Salary Arrears otherwise Stop Salary of Panchayati Raj Commissioner and Local Body Director
कोतमा. पत्नी को जलाकर मारने के आरोपी पति मणिशंकर दुबे 54 वर्ष निवासी रामनगर को कोतमा के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश जय सिंह सरोते की न्यायालय ने 28 फरवरी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। घटना थाना रामनगर क्षेत्र की है। मामले में अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक राजगौरव तिवारी ने पैरवी की। सरस्वती दुबे ने पति मणिशंकर की आए दिन प्रताडऩा से तंग आकर थाने में घरेलू हिंसा व दहेज प्रताडऩा का केस दर्ज कराया था, जिसे पति वापस लेने का दबाव डाल रहा था। 1 सितंबर 2019 को राम मंदिर के सामने घर पर मणिशंकर दुबे ने पत्नी सरस्वती दुबे के साथ विवाद करते हुए डीजल डालकर जला दिया। घायल महिला को स्थानीय लोगों ने अस्पताल में भर्ती कराया। मामले में रामनगर पुलिस ने आरोपी पति के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करते हुए घटना में उपयोग गैलन, माचिस की तीली सहित अधजले कपड़े को जब्त किया। अस्पताल में मृतिका ने तहसीलदार के समक्ष दिए कथन में पति के डीजल डालकर मार डालने की बात कही थी। उपचार के दौरान 12 सितंबर को महिला की मौत हो गई। मौत होने पर आरोपी पति के खिलाफ हत्या की धारा लगाई गई। आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय के आदेश पर जेल भेज दिया गया था। मामले में प्रकरण की सुनवाई डायरी न्यायालय पेश की गई। न्यायालय में मृतक के परिजनों, संबंधित साक्षियों, पुलिस विवेचक व डॉक्टर के द्वारा दिए गए कथन एवं साक्ष्यों के आधार पर आरोपी मणिशंकर दुबे को हत्या में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास के साथ ही 5 हजार जुर्माना से दंडित किया गया।
अभियोजन ने 20 गवाहों के कथन कराए

अभियोजन की तरफ से पैरवी करते हुए विशेष लोक अभियोजक राज गौरव तिवारी ने 20 गवाहों के कथन कराने के साथ 42 दस्तावेजों को सिद्ध किया और विवेचना में जब्त किए गए मृतिका के कपड़े, डीजल के गैलन, माचिस सहित 5 अति आवश्यक साक्ष्यों को पेश किया। मृत्यु कालिक कथन सिद्ध किए जाने की सभी आवश्यक शर्तों को सिद्ध कर सर्वोच्च न्यायालय के न्याय दृष्टांत पेश कर अभियोजन कथा को न्यायालय के समक्ष संदेह से परे सिद्ध किया। इससे संतुष्ट होकर अपर सत्र न्यायालय ने दंड से दंडित किया गया। आरोपी घटना के बाद 1 साल 4 माह 25 दिन तक पूर्व में भी जेल में रहा।

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