करुणा और साहस को श्रद्धांजलि डॉक्टर वे गुमनाम नायक हैं जो स्वास्थ्य को बहाल करने, आशा प्रदान करने और जीवन को बचाने के लिए अथक परिश्रम करते हैं। अक्सर अपनी भलाई को दूसरे स्थान पर रखते हैं। चाहे हाई-टेक अस्पताल हों या दूरदराज के क्लीनिक, उनके स्थिर हाथ और दयालु दिल असंभव को संभव बना देते हैं। बदलाव के एजेंट के रूप में डॉक्टर बीमारी का इलाज करने के अलावा, डॉक्टर एक स्वस्थ और अधिक न्यायसंगत समाज को आकार देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे समुदायों को शिक्षित करते हैं, निवारक देखभाल की वकालत करते हैं और सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों के केंद्र में होते हैं। महामारी, असमानता और गलत सूचना से अभी भी उबर रही दुनिया में, उनका मार्गदर्शन पहले से कहीं •ा्यादा •ारूरी है। कृतज्ञता और सम्मान के साथ मनाना जैसा कि हम इस दिन को मनाते हैं, आइए न केवल गुलाब और प्रशंसा अर्पित करें। बल्कि चिकित्सा विज्ञान में विश्वास को बढ़ावा दें, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की मानसिक भलाई का समर्थन करें और सभी के लिए स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ और मानवीय बनाने की दिशा में काम करें।
अब तक 300 को नशा छोडऩे की राह दिखाई बारां शहर समेत जिले भर में कई लोग नशे की जद में हैं। ऐसे पीडि़त परिवारों के लिए बारां जिला मुख्यालय पर नशा मुक्ति केंद्र खुलना सरकार की ओर से यहां के लोगों को बड़ी सौगात है जिला मुख्यालय पर इसकी स्थापना करने के लिए जिला अस्पताल के तत्कालीन पीएमओ और साइकैट्रिक डॉ. नीरज शर्मा ने जिला प्रशासन के सहयोग से इस केंद्र को यहां शुरू कराया। डॉ नीरज इस केंद के नोडल अधिकारी भी हैं। वर्तमान में यह नशा मुक्ति केंद्र पूरे कोटा, बूंदी, झालावाड़ में इकलौता ही है। छह माह के दौरान केंद्र की सेवा लेकर यहां से करीब 300 से अधिक लोग नशे की लत से किनारा कर चुके हैं।
परोपकार से बनाई लोगों के दिलों में जगह सरकारी सेवा के साथ साथ यदि परोपकार या सामाजिक कार्य किए जाएं तो लोगों के ह्रदय में जगह बन ही जाती है। उपजिला अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक शकील अहमद जरूरतमंद की सहायता जरूर करते हैं। उन्होंने सडक़ दुर्घटना में मृत मांगरोल निवासी शौकत अंसारी, माल बमोरी निवासी याकूब अली की मदद की। परिजन को दुर्घटना बीमा की सहायता दिलवाई। जनसुनवाई में जब एक परित्यक्ता ने खाद्य सुरक्षा में मुफ्त अनाज की गुहार लगाई तो डॉ. शकील ने खाद्य सुरक्षा योजना में नाम जुडऩे तक साल भर का गेहूं देकर परिवार को संबल दिया। इनको जिला प्रशासन सम्मानित भी कर चुका है।
सेवा से हटकर काम करने से बनती है छवि यदि कोई अपने सेवाकार्य से हटकर कोई काम करता है तो उसकी समाज में अलग से छवि बनती है। मेडिसिन डॉक्टर उमेश विजय ने कोरोनाकाल में आईएमए में डाक्टर्स के लिए बीमारी के बारे में लगभग बीस दिन तक बीमारी की रोकथाम जांच एवं उपचार के बारे में बताया। इससे उस गंभीर बीमारी के काल में चिकित्सकों को विशेषज्ञ सुविधा की जानकारी मिली। मांगरोल के तब सामुदायिक केंद्र में एक लाख की बायो केमेस्ट्री मशीन दान की। इससे मरीजों की जांच की सुविधा मिल सकी। क्षेत्र में कोरोना सर्वे जांच एवं उपचार सही समय पर कर सीमित संसाधनों से ही लाभ पहुंचाने में भूमिका निभाई।
इन्होंने कहा कि… डॉक्टर सिर्फ एक प्रोफेशन का नाम नहीं, बल्कि वो फरिश्ते हैं जो ङ्क्षजदगी की सबसे मुश्किल घड़ी में हमारी उम्मीद बनकर सामने आते हैं। देवरी के राजकीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवरी में कार्यरत चिकित्सा प्रभारी अधिकारी श्रवण कुमार शर्मा ने देवरी कस्बे में अस्पताल ज्वॉइन करने के बाद पूरे अस्पताल का नक्शा ही बदल दिया। उन्होंने अस्पताल परिसर में बारिश में कई पौधे लगाकर उनकी देखरेख की जिम्मेदारी ली। सामाजिक कार्यक्रमों में भी वे अग्रसर रहते हैं। वे अब तक करीब 200 पौधे लगा चुके हैं।
उप जिला चिकित्सालय में बतौर प्रमुख मेडिकल ऑफिसर डॉ. सोभाग मीणा ने कोरोना काल में तो अस्पताल आने वाले लोगों की चिकित्सा तो की ही। भयावह बीमारी के बारे में लोगों को जागरूक रखने व न घबराने की हिम्मत भी दी। वे दवा से ज्यादा मरीजों में विश्वास पैदा करने का काम करते हैं। इससे गंभीर रोगी भी एकबारगी अपने आपको संतुष्ट समझता है। उप जिला चिकित्सालय में कम स्टाफ के बावजूद अस्पताल आने वाले रोगी को बेहतर चिकित्सा सुविधा देना वह अपना धर्म समझते हैं।
कोविड-19 के दौरान अपनी जान को खतरे में सेवा की। उपजिला चिकित्सालय के डॉ. पारस जैन ने बताया कि महामारी के दौरान वे रात दिन अपने काम में लगे रहे। हर मरीज की जान बचाने के लिए थकान को भूल कर, वेंटिलेटर्स और ऑक्सीजन की तलाश की। अस्पतालों में संसाधनों का सही इस्तेमाल किया। उनकी मेहनत और लगन ने ना सिर्फ बीमारों को जीने की उम्मीद दी, बल्कि सबको ये सिखा दिया कि इंसान की असली ताकत उसकी दया और संवेदना में होती है।
कोविड-19 के दौरान डॉक्टरों ने न केवल इलाज किया, बल्कि वैक्सीनेशन अभियान में अहम भूमिका निभाई। उप जिला चिकित्सालय में चिकित्सा अधिकारी डॉ. हरीश मीणा ने बताया कि हमने महामारी से लडऩे में समाज को प्रेरित किया। वे बताते हैं कि कई-कई दिन बिना कुछ खाए, बिना अवकाश लिए मरीजों का इलाज किया। डॉक्टरों ने मानसिक तनाव और थकावट के बावजूद, मरीजों की देखभाल की और उन्हें जीवन के प्रति सकारात्मक संदेश दिया।
चिकित्सा का क्षेत्र आय अर्जन के साथ सबसे पहले सेवा क्षेत्र ही है। जिला अस्पताल में सेवारत गायनी विशेषज्ञ डॉ. संतोष डडवारिया चिकित्सा सेवा कार्यों से हटकर निर्धन जरूरतमंद और दुर्बल वर्ग की सेवा को भी मानव धर्म मानती हैं। समाज में सामूहिक विवाह सम्मेलन, दुर्बल वर्ग की कन्याओं का विवाह में आर्थिक सहयोग, कन्याओं के विवाह के अवसर पर उपहार भेंट कर समाज सेवा में भी यह अग्रणी रही है। मौका मिलने पर जरूरतमंदों को भोजन वितरण करने कन्याओं को सेनेटरी नैपकिन वितरण करने आदि कार्यकर सेवा क्षेत्र से जुड़ी रही हैं।