ये है विवाद की पूरी कहानी
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सरकार ने उन्हें केवल 45 साल की आयु तक आवेदन करने की अनुमति दी है। इसके विपरीत उन्होंने 1400 संविदा सुपरवाइजर को 15 साल अधिक छूट दी है जिसका मतलब ये महिलाएं 55 साल की आयु तक आवेदन कर सकती हैं। संविदा कर्मियों के लिए यह छूट उनके कार्य अनुभव के आधार पर दी जाएगी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह नियम संविदा सुपरवाइजर और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के बीच भेदभाव करता है। बता दें कि, इस परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले सामान्य उम्मीदवारों के लिए आयु सीमा 18 से 40 वर्ष तक निर्धारित की गई थी। वहीं, एससी, एसटी, ओबीसी, शासकीय कर्मचारी, नगर सैनिक, विकलांग और महिलाओं को 5 वर्ष की छूट दी गई।
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आंगनवाड़ी संघ की महामंत्री रंजना राणा ने कहा, यह नियम नियमित रूप से कार्यरत कर्मचारियों के साथ भेदभाव के सामान है। संविदा पर काम करने वालों को 55 साल तक की छूट दी जा रही है, वहीं हम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सिर्फ 45 साल तक की छूट दी जा रही है। यह कैसे न्यायसंगत हो सकता है?’ आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने इस मामले को महिला एवं बाल विकास विभाग और हाईकोर्ट तक पहुंचाने की योजना बनाई है।
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दरअसल, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की थी, जिसमें कोर्ट ने आदेश दिया था कि मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भी भर्ती में बराबर का मौका और अधिकार दिया जाए। इस मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना था कि ‘उन्होंने अभी के आदेश को नहीं पढ़ा है। भर्ती प्रक्रिया नियमानुसार चल रही है, इससे अधिक वह कोई टिप्पणी नहीं कर सकते है। ‘